मानते हैं के उस को मनाया नहीं
सामने से हमें भी मनाया नहीं
ख्वाब में नाम लेकर बुलाया नहीं
उनके लब पर मिरा ज़िक्र आया नहीं
हो गया इक ज़माना सताए हुए
वो गया फिर किसी ने सताया नहीं
मयकदे की डगर याद भी ना रही
जाम तिश्·ना लबो पर सजाया नहीं
हो रही थी बयाँ ख़स्तगी ज़ुल्फ से
दर्द उसने जबाँ से बताया नहीं
दिल के सब ज़ख्म तल्हा हरे ही रहे
देख कर वो हमें मुस्कुराया नहीं
@talhaaWrites
- @talhaaWrites