8 JAN 2018 AT 18:45

खुशी में याद करता हूँ ग़मो में वो भुलाता हूँ
ज़माना इश्क का कर के बयाँ सब को रुलाता हूँ

किसी से था लगाया दिल बड़ी ही जाँ निसारी से
अखियोँ से नहीं में अश्क़ अब दिल से बहाता हूँ

किया कुरबान हर सपना किया नाराज़ रब को भी
लगा कर चस्म पर चश्मा नदामत को छुपाता हूँ

बहुत ही चाहता हैं दिल उसे कस कर लिपटने को
उसे अक्सर मिरे इन ख्वाब में ही क़ुर्ब लाता हूँ

नहीं देती मिरी नाक़िस जुबाँ अब साथ हर लम्हा
बयाँ करने मिरे ग़म को कलम फिर मे चलाता हूँ

तख़य्युल से निकाला सामने लाया उसे सब के
चलो इन आह पर अब वाह तल्हा तो कमाता हूँ

- @talhaaWrites