Takhsish ara   (©Unexpressed_vibes)
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Joined 10 February 2018


Joined 10 February 2018
12 JUL 2021 AT 23:07

तुम्हें हम याद भी आयेंगे कैसे...
तुम्हारा वक़्त अच्छा चल रहा है।।।

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5 JUN 2021 AT 0:08

रखा कुछ नहीं माज़ी में मेरे ..
एक दिल है सरफिरा और मैं हूँ।

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3 JUN 2021 AT 17:48

कहा कुछ और था तुमने समझ हमने लिया कुछ और..
सब कुछ है मगर फिर भी है क्यों लगती कमी कुछ और..

हमें क्यों हो गिला शिकवा शिक़ायत अब भला तुमसे..
चलो छोड़ो पुरानी बात कहो इनके सिवा कुछ और।।

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27 MAY 2021 AT 20:26

छुपा रखा था सीने में जिस दिल को इतने अरसो तक..
एक नज़र तुमने जो देखा .. दिल तुम्हारा हो गया।।

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27 MAY 2021 AT 18:30

हमें हासिल नहीं वो ख़्वाब तक में...
तुम्हें जिसका मिला कांधा सिरहाने।।

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13 FEB 2021 AT 19:49

बे-सुकूनी से इस दिल का राब्ता मिटता नहीं..
क्यों ये रातें सोचतीं है क्यों सहर जगता नहीं..

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8 JAN 2021 AT 0:04

वो दिल टूटने पर रो रहे हैं..
जिन्हें था शौक़ 'तक्श' दिल तोड़ने का!!!

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5 JAN 2021 AT 16:37


मुझे तो याद तक करते नहीं तुम
किसी को चिट्ठियाँ भिजवा रहे हो!!!

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1 OCT 2020 AT 0:47

हर रोज़ ये खबरें बताती आ रही अख़बार है..
कहीं जल रही हैं बेटियाँ कहीं रो रहा परिवार है!!

"बहुत अफ़सोस हुआ सुन कर के" कहते तो हैं सब करते नहीं..
पूछो ज़रा उनका हाल जिनपर गिरती ये दुख की दीवार है

सड़कों पर जली मोमबत्तियाँ लगाई जा रही गुहार है..
कहानी वही है चल रही बस बदल रहे किरदार है..

खुद ही करो मुक़ाबला, बन जाओ इतनी मजबूत तुम..
बैठे हो लगाकर आस क्यों ये खोखली सरकार है..

बेहयाई का ये आलम छा गया ऐसा कि "तक़्श"
इंसान बने हैं जानवर और इंसानियत का ही शिकार है!!!

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25 AUG 2020 AT 23:45

सुनहरी सुबह से पहले वो काली रात देखी है..
कि इन आँखों से बहती इस क़दर बरसात देखी है..
मोहब्बत टूट कर करने में खुद ही टूट न जाओ..
ज़रा संभलो! कि मैंने ऐसी भी हालात देखी है!!

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