Saket Garg 4 NOV 2017 AT 1:55 लो जीत गयी सियासत, नफ़रत और फ़िरक़ा-परस्तीसुना है आज फ़िर, दो बेगुनाहों का दिल दुखा है कहीं- साकेत गर्ग - Anil 12 JUN 2019 AT 10:36 इश्क़ मोहब्बत, मुलाकातों पर सरेआम जो उंगलियां उठाये बैठे हैं,फ़िरक़ा ए सफेदपोश वो, काला सच खुद काबदनाम गलियों में छुपाए बैठे हैं.... -