फ़लसफ़ा जिंदगी का
चलकर भी जो रुकी रहे , थमकर भी जो चलती रहे
आसमान पर बादलों सी उड़ान है जिंदगी।
आंसूओं से शुरू होकर आंसूओं पर जो खत्म हो ,
जीना सीख लिया जाए तो खुशियों का सैलाब है जिंदगी।
छोटे छोटे कदमों से नापा था गांव का हर हिस्सा,
उड़ ले पंछी सा दूर गगन में, दिल पर उन कदमों की छाप है जिंदगी।
आइने में गर जो देखा जाए तो पैरों में लिए आसमां है,
सोच सोच का फर्क है, विचारो का ही खेल है जिंदगी।
ख्वाहिशों के पिटारे में ना जाने क्या क्या समेटा था,
मिले तो हकीकत वरना अनुभावों का भंडार है जिंदगी।
बचपन को पाल पोसकर जवानी को संवारा है जिसने,
उस लड़खड़ाते बुढ़ापे के विश्वास की आस है जिंदगी
जी सके तो जी ले खुशी से हर पल में जिंदगी ,
मौत जब आती है तो किसी पर ना मेहरबां है जिंदगी
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