QUOTES ON #फ़र्क़पड़ताहै

#फ़र्क़पड़ताहै quotes

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10 NOV 2018 AT 18:15

फ़र्क़ पड़ता है
तू मिल जाएगी तो
सारा कुछ मिल जाएगा
तेरे बहाने हमें रब मिल जाएगा

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कभी जतलाती नहीं मैं तुम्हें
मगर हाँ, मुझे फर्क पङता है
तुम्हारे कुछ कह देने भर से
मुझे फर्क पङता है
तुम्हारा रूठना या उदास हो जाना
मुझसे सहा नहीं जाता
जब तक बतलाते नहीं तुम
तकलीफ अपने भीतर की
मुझे चैन नहीं आता
मानती हूँ थोङी पगली सी हूँ
मगर तुम्हें भी तो मेरे इस
पागलपन से ही प्यार था
कहते थे तुम अक्सर मुझको
समझदारी मुझे नहीं भाती
फिर क्या था
ढाल लिया हमने खुद को तुममें
तुमसे लङना, बातें करना, अक्सर तुम्हें
सोचना और फिर तुम में खो जाना
अच्छा लगता है
तुम्हारी हर एक बात से,
अनकहे एहसास से
मुझे फर्क पङता है
तुम्हारी मुस्कुराहट से लेकर
तुम्हारे अंदर के खालीपन से
मुझे फर्क पङता है
तुम्हारी खामोशी मुझमें शोर करती है
और उदासी मुझे तकलीफ देती है
माना नहीं कहा कभी तुमसे
मगर हाँ, मुझे फर्क पङता है...

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11 NOV 2018 AT 18:52

अब फ़र्क नहीं पड़ता किसी के आने जाने से...
अब ज़िंदगी मेरी ISBT सी हो गई है।

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खुद बिखर के खुद सवरना सीख रही हूँ
की अब तेरी कमी मे जीना सीख रही हूँ

हाल ए दिल की, क्या बात करूँ गैरो से
अपनो के तानो से, जीना सीख रही हूँ

दरकिनार किये गए थे, अब थक गए है
जीवन अकेलेपन मे जीना सीख रही हूँ

लपटे चुभती है, मगर दर्द का क्या करें
अब चुभन के साथ, जीना सीख रही हूँ

दूरियाँ जिस्म की होती है यादों का क्या
यादों को भुला कर, जीना सीख रही हूँ

मैं जुल्म लगती हूँ उन तकियों पे आज
जिन पर सर रखके सोना, सीख रही हूँ

तुझमे डूबी मैं,अब खुदमें सवार रही हूँ
हाँ तुझसे दूर अकेले जीना सीख रही हूँ

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10 NOV 2018 AT 12:07

तेरे बार बार "न" कहने से..
छोटी बातों पर तेरे रूठ जाने से..
जब भी कभी तू मुझ पर एतबार नहीं करती
इश्क़ होते हुए जब भी जबां पर नहीं लाती
फर्क़ पड़ता है मुझे

कभी कभी सोचता हूं कि ...
जब तेरे लिए मैं कुछ नहीं
तो तू मेरे होंठों की हसीं कैसे है
जब तू मेरी परवाह नहीं करती
तो मैं क्यूँ दिन रात तेरा ख्याल करता हूँ
क्या सच में...
फर्क नहीं पड़ता तुझे??

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10 NOV 2018 AT 18:53

फ़र्क पड़ता हैं मुझे तेरे हर हिसाब से,
जिंदगी से कई श़िकवें है बेहिसाब से!!!

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10 NOV 2018 AT 13:42

न जी सकते थे हमारे बिना
अब उन्हें हमारे बिना कोई फ़र्क नहीं पड़ता है,

दिल खामोश उनका
दिमाग की वो सुनते है
इस पर हमारा तर्क कम पड़ता है।

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10 NOV 2018 AT 1:02

खामोश रह कर भी हँसना सिख लिया ।
तन्हाईयों से मोहब्बत करना सिख लिया हमने ।।
दर्द को मुस्कुरा कर सहना भी सिख लिया ।
काटों को मखमल बना जीना भी सिख लिया हमने ।।

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10 NOV 2018 AT 11:37

फर्क पड़ता है
मैं चुप रहूं और मेरी आंखों में कोई टहलता है
जो बात कहनी है दिल को दिल,दिल में ही रखता है
तो
फर्क पड़ता है
जब कोई अपना आंख बचा कर निकलता है
उस वक्त मुझे बोहत अकेलापन सा लगता है
तो तो
फर्क पड़ता है
जिंदगी में सब को अकेले चलना है
मगर दिल से अगर कोई तुम्हारे साथ चलता है
तो
फर्क पड़ता है

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10 NOV 2018 AT 20:00

तेरी हर उन बातों का जो तू कहती है,
ऐसे ही थोड़ी ही तुझे अपना माना है।

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