खुश करता है कोई हाँ में हाँ मिलाकर,
तो कोई आग में तपे सा खरा कहता है !
असलहों का घाव भर जाता है अक्सर,
बात लगे जाए दिल को तो ज़ख्म हरा रहता है !
बात-बात में बिगड़ता भी, बात-बात से बनता घर,
बात ही तो हैं, बनी रही तो परिवार भरा रहता है !
बच्चे हैं, कितनों को सुधारोगे मार-पीट कर,
परवरिश का अदब बाक़ी तो शख़्स बातों से डरा रहता है !
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