मासूम सी ज़िन्दगी की बस इतनी सी कहानी है,
होंठो पे हँसी है फिर भी अँखियों में पानी है।
जिससे भी मिलो बस तेरा ही ज़िक्र करता है,
लगता है पूरी क़ायनात ही तेरी दीवानी है।
हर बार सोचती हूँ कि भुला दूँ तुझे,
पर फिर लगता है ये यादें ही तो ज़िन्दगानी है।
कैसे कह दें इन धड़कनो को की थम जाओ,
ये धड़कने भी तो यारा तेरी ही निशानी है।
ज़िस्म का हर एक कतरा तेरा ही नाम जपता है,
लहू में भी तो बस तेरे ही नाम से रवानी है।
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