बदल गए है शहर के शहर, जाने क्यों ?
घुला सा है हवा में ज़हर, जाने क्यों ?
वो जो मुरीद था, हरदम मेरे करीब था,
मुफ़्लसी में आता नही नज़र, जाने क्यों ?
छाया मिलती थी, फल भी थे दस्तयाब
कट गया फिर भी वो शजर, जाने क्यों ?
इश्क़ बनकर फ़रेब, यूँ निग़ल गया मुझे
बर्बादी की न हुई खबर, जाने क्यों ?
तेरे ज़ानों पर भी समां गुज़रा था, कभी
नादाँ दिल गया है वहीं ठहर, जाने क्यों ?
मायूसी से स्याह है दिन रात ,'राज',
एक मुद्दत से हुई नही सहर, जाने क्यों ?
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