न कोई दोस्त न कोई हमदर्द है
न है कोई दवा दर्द की मेरे
न कोई अपना रहा न दुआ है किसी की
न है कोई मरहम ज़ख्मों का मेरे
कितनी बेरहमी से लूटा है जिंदगी तूने
की बचा न सके कोई रिश्ते अपने
सांसें तो है मगर रूह मृत हो गयी है
रहा नहीं एहसास मुझे होने का मेरे
मैं और मेरी तन्हाई है जिंदगी के सफर में
फिर भी मजबूर हूँ क्यों जीने के लिए
Tanuja shivhare
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