गुज़रे कल के टूटे ख़्वाबों को
हम जोड़ न पाए।
मोहब्बत तो कर लिया तुमसे,
मगर तेरे हो न पाए।
कोशिश की मैंने बहुत फिर भी,
अतीत से तुझे छुटकारा दिला न पाए।
कुछ तो कमी रह गयी होगी इस मोहब्बत में,
जो तेरी आँखों से,ये सुर्ख लाली मिटा न पाए।
सफ़र में तेरा हमसफ़र बनना एक ख़्वाब रह गया,
हाथों में तेरा हाथ लेकर,उम्रभर का साथ निभा न पाए।
ख़ामोखा दिलासा ना दो अब इस अधूरी मोहब्बत का,
तड़पते रह गए,परंतु इसे पूरा कर न पाए।
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