आज तन्हाइयों का मज़ा लीजिये,
जो है दिल में उसे अब बयां कीजिये!
वक़्त भी आज है जैसे ठहरा हुआ,
ख़ैरियत की ख़ुदा से दुआ कीजिये.!
होश हैं फ़ाख्ता आपके इश्क़ में,
अब तो आँचल से थोड़ी हवा कीजिये!
दर्दे दिल का सबब क्या कहें आपसे?
अब दीवाने की अपने दवा कीजिये..!
इतनी फ़ुर्सत दोबारा मिले ना मिले,
आप भी प्यार की इन्तेहाँ कीजिये..!
लफ़्ज़ के मायने कीजिये खामखा,
आप नजरों से सब इत्तेला कीजिये..!
रुख से पर्दा हटाने का है वक़्त अब,
बेवज़ह है कि हमसे हया कीजिये..!
सिद्धार्थ मिश्र
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