"तु जो ना होता तो ,
कैसे बंया करता अपना हाले दिल...
दबी रह जाती अल्फाज सीने में,
और मैं ही होता उसका कातिल...
अब जो तु मिल गया है,
मिल जायेंगे विचारों को अपनी मंजिल...
गर तेरा हो साथ तो,
दुर हो जायेंगी हर मुश्किल...
मेरी भावनाएं ,
जब कर लेंगी तेरे शब्दों को हासिल...
बढ जायेगी शोहरत मेरी ,
जब तु सिने से लग कर जायेगा महफ़िल
पुछेंगें जब लोग मुझे ,
तु सुनायेगा मेरा हाले दिल"...
✒ राजेन्द्र राठौर ✒
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