थक गया था मैं रोज भाग दौड़ कर
आ गया ना जाने ज़िन्दगी के किस मोड़ पर
बिखर गया था मैं
सपनों को खोता देख कर।
मायूस गुम सुम सा मैं
लगा हारा हुआ अपने लक्ष्य से मैं।
फिर अंदर से है एक आवाज आई
ये तो छोटा सफर है, आगे अभी और है लड़ाई।
क्यो तू क्यो डर रहा मेरे भाई
तेर रास्ते तो मंजिल भी देख रहा
रख हौसला बढ़ तू ,आगे और है लड़ाई।
तू भूल गया है क्या की तुझे कहाँ जाना है
या फिर इन भेड़ चाल में समा जाना है।
तेरे सपने है काफी बड़े बड़े
तो रास्ते की मुश्किलों से तू क्यों है डरे।
तू जनता है कि तू कर सकता है औरों से बेहतर
गिर जाने के डर से क्यो खोलता नही अपने पर।
तू भूल गया क्या, जंगल के क्या है नियम
जो लड़ेगा वही बड़ेगा बनेगा चैम्पियन।
बैठा क्यो मायूस है हौसले बुलंद कर
कदमो में होगी कामयाबी थोड़ा तो सब्र कर।
तू थक मत,
तू गिर मत,
बस तू अपने मंजिल पर करता जा चढ़ाई
लाख मुश्किल आएंगी डरना मत तू मेरे भाई।
ये मत सोच लोग क्या कहेंगे
एक दिन यही तेरे पीछे पीछे चलेंगे।
ना रह निर्भर दूसरो पर ये तेरी है लड़ाई
कही न कही तो लोग देंगे तेरी दुहाई।
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