QUOTES ON #हैवानियत

#हैवानियत quotes

Trending | Latest
30 NOV 2019 AT 18:10

नहीं थमती दासतां, जिस्म-औ-रूह ज़ार करने की,
और बाकी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को,

आग फिर उठी हैं, अंगारे दहके हैं आज, चारों तरफ
काट दो उंगलियाँ, जो उठे इज्ज़त तार करने को,

वो बेटी किसकी थी, मत पूछ मुझसे ऐ रहगुज़र
तैयार रह, उन नामुरादों के टुकड़े हज़ार करने को!

आबरू जाने कितनी, हर रोज़ कुचली जाती हैं,
नोंच ले वो गंदी नजरें, उठे जो गंदे वार करने को,

क्यों हो झिझक, क्यों डर बेटियों की आँखों में,
ज़रूरत अब, खुद हाथ अपने हथियार करने को !

-


8 JUN 2019 AT 13:05

आंखें निकालकर मार दिया उस मासूम को,
तड़पा-तड़पा कर मार डालो ऐसे हैवान को।

-


14 MAR 2018 AT 9:02

किसी मासूम की लूट रही थी,
कुछ दरिंदे लूट रहे थे
नामर्द थे वो जो तमाशा देख रहे थे

-


21 MAY 2020 AT 9:51

अक्सर वो अंधेरी गलियां और सड़के लाचार होती हैं
जो सुनती है किसी लड़की के लिये अश्लील आवाजें

गुप अंधेरे में किसी कोने से शर्मओं हया को चीरती हुई
सहमा देती मासूम के कानों में पड़ती अश्लील आवाजें

न होता कोई धर्म इनका न ही कोई शक्ल लिये होती हैं
होती हैं तो बस घिनौनेपन से पुर्ण ये अश्लील आवाजें

जिस्मों की भूख में उसकी रूह-ए- तार-तार करते हैं
इस कद्र बेहया हो जुल्म करती हैं ये अश्लील आवाजें

न जाने कितनी लड़कियां सहमी सहमी सी गुजरती हैं
ज़हन में खौफ़ कंही सुनाई न पड़े ये अश्लील आवाजें

आग और गुस्सा हर और दहकेगा अस्मत लुटेगी जब
किसी मासूम की, पर न होगी बंद ये अश्लील आवाजें

बन कर वैहशी दरिंदे घूमतें हैं 'मेरे देश' की सड़को पर
'रूचि' क्यूँ थमती नहीं है दरिंदों की अश्लील आवाजें

किसी मां की बेटी, किसी की बहू या भाई की बहन
कभी न कभी जरूर सुनती हैं वैहशी अश्लील आवाजें

-


22 MAY 2020 AT 10:27

✴️ख़ामोश मत रहो बेटियों✴️

नहीं रुकेगी ये दरिंदगी ऐसे, क्यों आँखे झुकाए खड़ी हो
क्या बाकी रह गया अब, हैवानियत की हदें पार होने को

थाम लो हथियार हाथों में, घोंप दो सीने में हैवान के
नोंच डालो गंदी नजरो को, ख़ामोश मत रहो बेटियों

रोज कुचल रही है आबरू, क्यों तुम झिझक रही हो
उठालो खंज़र, इन नामर्दों के टुकड़े हजार करने को

डर को आग लगा दो, फूलन देवी का चेहरा लगालो
गोलियों से भून डालो दुष्टों को, ख़ामोश मत रहो बेटियों

-


14 JUL 2019 AT 9:53

मेरी कलम मेरे अरमान ढूंढने वाले
कहाँ गये सबमें मेहमान ढूंढने वाले

बस रात भर में कैसे बदल गयी दुनिया
कहाँ हैं अस्थियों का सामान ढूंढने वाले

जिसने चाहा मुझे देखकर हँस लिया
नहीं रहे क्या अब कब्रिस्तान ढूंढने वाले

जो अब शहर में आकर अमीर बने बैठे हैं
यही तो हैं बस ग़रीबों में श़ान ढूंढने वाले

मंज़िलों में अक़्सर कहीं खो जाया करते हैं
सिर्फ़ ख़ुद ही के लिए आसमान ढूंढने वाले

कभी लाचारी और भुखमरी की हालत देख
हर इन्सान में भी बस भगवान ढूंढने वाले

ज़िन्दगी खूबसूरत है कैमरे में क़ैद कर लो
कहाँ गये अब हैव़ान में इन्सान ढूंढने वाले

तू सिर्फ़ अपने ख़्वाबों में खो जायेगा "आरिफ़"
चल दिये कहीं अब अपनी पहचान ढूंढने वाले

"कोरा काग़ज़" ही सही अच्छी है ये ज़िन्दगी
मिट गये अब कलम में हिंदुस्तान ढूंढने वाले

-


2 OCT 2019 AT 12:39

कलयुग में हैवानों को पहचानना दूभर हो गया है क्योंकि इन्होने शराब, जुआ, चाय, कॉफी, प्याज, लहसून तक छोड़ रखा है और शराफत का चोगा ओढ़ रखा है

-


29 SEP 2020 AT 16:20

घर-घर गया पर अब कहीं हैवानियत न रही
इंसान ख़ुश हैं क्योंकि अब इंसानियत न रही

-


6 JUN 2019 AT 13:33

लड़कियों पर आँखें जमाकर क्या होगा
बेव़जह अपनी ज़ात दिखाकर क्या होगा

मोहब्बत को जो तुमने ठुकराया है अभी
ज़िन्दगी भर फ़िर साथ निभाकर क्या होगा

गर कभी समझे नहीं रदीफ़ उसके हुस्न के
तो अब उसपर क़ाफिये सजाकर क्या होगा

उसके चलने पर भी एतराज़ रहा "आरिफ़"
अब उसके लिए फूल बिछाकर क्या होगा

मोहब्बत कोई अब भीख़ नहीं जो दे दे वो
फ़िर अपना दामन आगे बढ़ाकर क्या होगा

कौन तुम्हें समझाए और अपने मुँह की खाए
हैव़ानों को अब इक इन्सान बनाकर क्या होगा

"कोरा काग़ज़" थी जिसको जलाया है तुमनें
आँसुओं को उसके स्याही में गिराकर क्या होगा

-


27 AUG 2020 AT 8:34

".......सुरुर-ए-नुर की, हिदायत -ए-उम्मीद से
आराईश -ए-मुस्कान -ओ-खावाहिश की इक जुस्तज़ू शुरू हुई....,,,,
.......वफ़ा-ए-किस्मत इस कदर जफ़ा बन बैठी ,कि कफस-ए-हैवानियत में आब-ए-चश्म-ओ-फुंगा की गुफ्तगू ,कजा पर जाकर खत्म हुई ....!!"

Plz caption cmpltly read kre🙏🙏


-