QUOTES ON #हुंकार

#हुंकार quotes

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10 JUL 2017 AT 13:23

इस घनघोर निशा में
चल रहा राही तू किस दिशा में
कोई क्लेश कलुष व्याप्त मन में क्या
वीभत्स आत्मा कचोट रही तुम्हे भी क्या

यक्ष प्रश्न सामने खड़ा है
जीता वही है जो डटकर लड़ा है
कर हर सम्भव प्रयत्न, स्वाभिमान मिलेगा
जीवन का तुच्छ मोह कह क्या इससे बड़ा है


रंगभूमि नही ये, किरदार बदलेगा
कर्मभूमि है , परुषार्थ का डंका बजेगा
जत्न कर यत्न कर उठ मुसाफ़िर प्रयत्न कर
बजा दुदुहि आज फिर से तू समर का शंखनाद कर

मान सम्मान आड़े न आये
शीश कटा देना जब झुकने आये
शत्रु खेमे में हो चित्कार ,दम्भ करे हाहाकार
जो समर में सिंह भाव हुंकार भरे, बाहुबल कहलाये

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इस बार क्षमादान नही देंगे
तूने सीमाओं का किया उल्लंघन है
अब वार करो , हुंकार भरो
ये देशभक्ति का सावन है

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कर दो लहू को तप्त इतना
गर्व भरो हुंकार में
एक बार में चित हो दुश्मन
धार करो यूँ वार में

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15 MAY 2020 AT 21:04

चराग़ जलने को ढूँढता है अंधकार,
असत्य कितना ही ताकतवर क्यों न हो,
नहीं छिपा सकता,
सत्य की स्याही से लिखी किसी
क्रांतिमयी कविता की हुंकार।

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29 JUL 2020 AT 12:22

मौन हूं, शान्त हूं, उचित समय का इंतज़ार कर रहा हूं
भविष्य मेंं लम्बी छलांग के लिए अभी हुंकार भर रहा हूं I

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23 JAN 2022 AT 9:19

हाँ हम देंगे बलिदान, "हम देंगे-देंगे अपना खून",
आप आव्हान करो नेता जी,
दिल मे जज्बा हैं माँ भारती के वन्दन की,
कौंन बाँध सका हैं इंसान को,
कौंन बाँध सका हैं दिल के तूफ़ानो को,
बाँधी जा सकती काया, ना बंधते इरादे,
वन्दन श्रद्धासुमन अर्पित दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी को,
खून खोलता माँ भारती की पीड़ा देख,
अभिमानी खून किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं,
वो सपूत क्या जो माँ भारती के
काम आ ना सके,
हाँ "हम देंगे-देंगे अपना खून"
एक बार नेता जी आप आव्हान करो,
शब्द बस यही सुनाई देते हैं
माँ तेरे वीर "हिन्द सेना" सपूत
खड़े रण में जाने को, आप आवाज बुलंद करो,
सारी "हिन्द सेना" हुंकार उठाती
हम आते हैं, हम आते हैं,
माँ के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढाते हैं..✍🏻🐦

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विचार मनाचे
प्रतिबिंब अवघे....भाव भावनांचे
व्यक्त होय कधी हुंकार आतला
कधी प्रकटते दु:ख भोवतालचे

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31 MAY 2021 AT 18:19

पायल की झंकार में तुम ,
हौसलों की हुंकार में तुम ,
चाहे दिन हो या हो रात ,
हर साँस की लयकार में तुम ।
मेरे जीवन नैया के ,
खेवैया और पतवार हो तुम,
मेरे लिए मेरे दर्पण हो तुम ,
मेरे जीवन का श्रृंगार हो तुम ।

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17 DEC 2019 AT 21:10

थकता दुनिया की ठोकरो से
दिल से मेरे ये आवाज़ आती है
सबका नही पता पर मेरा बताऊं
हां मुझे तेरी याद आती है

सांझ के वक़्त जब ढलता सूरज पुकार देता है
मेरे हृदय की पीड़ा का तब हुंकार होता है
बेवक्त नहीं हर वक्त तेरी फ़रियाद करता हूं
हां मैं तुझे बेइंतहा प्यार करता हूं

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जो मुर्दों में जान फूँक दे,
वो प्राण कहाँ से लाओगे ?
हुंकारो से पर्वत को डिगा दे,
ऐसा 'सिंह' कहाँ अब पाओगे ?
सूखी रक्तवाहनियों में भर दे,
वो जोश कहाँ से लाओगे ?
ख़ुद को कर दे कुर्बान देश पर,
वो बोस कहाँ से लाओगे ?

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