QUOTES ON #हुँ

#हुँ quotes

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4 JUL 2021 AT 0:21

चुभाता तो मुझे भी बहुत कुछ है
तीर की तरह
पर फिर भी खामोश हुँ मै अपनी
तकदीर की तरह

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19 APR 2021 AT 19:17

क्या मेरे याद करने पर तुझे भी आती है,,
हिचकियाँ....
क्या तु भी इससे तंग आकर लेता हैं,,
मेरा नाम...
मै तुझे याद तो हुँ ना...
मेरा नाम से अब भी वाकिफ हो ना ??
🥺🌻🌻

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13 DEC 2019 AT 23:45

चुप हुँ तो गुमनाम हुँ ...
बोल दिया तो बदनाम हुँ ।
लड़ पड़ा तो इल्ज़ाम हुँ ...
रो दिया तो अंजाम हुँ ।
नज़रें चुराया तो बेईमान हुँ ...
तारीफ ना कि तो हैरान हुँ ।
बदल गया तो ईमान हुँ ...
अकेला रहा तो सुनसान हुँ ।
मदद की तो सुबह की आजान हुँ ...
हाथ खींचा तो बेनाम हुँ ।
सर उठाया तो सबसे परेशान हुँ ...
झुक गया तो गुलाम हुँ ।
बेकार कोशिश की तो नाकाम हुँ ...
और कोशिश ना कि तो फीका जाम हुँ ।
हार गया तो शमसान हुँ ...
जीत गया तो भगवान हुँ ।

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9 APR 2020 AT 0:12


🌺नारी हुँ 🌺

रात में जब फुर्सत है;
वो सोने नहीं देते हैं।
घर वाले दिन में,
फुर्सत नहीं देते हैं।।

वो भी क्या वक़्त था
जब घंटो सजते और सँवारते थे।
बड़ी अच्छा था
बहुत मौज में रहते थे।।

जो भी हो
सभी नजरों के पास हैं।
अब नहीं
किसी की आस हैं।।
अब घर
हरा भरा लगता है।
सभी को साथ देखकर
मन गदगद हो उठता है।।


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आशा नहीं
इश्क़ किया करो

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16 JAN 2020 AT 20:47

की
मैं तभी तेरे इंतेज़ार में थी
और
अब भी तेरे इंतेज़ार में हूँ..........

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28 DEC 2020 AT 1:29

मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ
एक अजीब से मुकाम में हूँ
न तुम हो न तुम्हारा साथ,
ये कैसे इम्तहान में हूँ?
मैं हमारे अतीत में हूँ,
आधी-आधी जीत में हूँ,
ना मिलने की मस्ती, ना बिछड़ने का गम,
ये कैसे जीवन की आस में हूँ?
मैं संन्यास में हूँ,
अपनी ही तलाश में हूँ,
तुम आए और चले भी गए,
मैं आज भी मिलन की आस में हूँ।
मैं अब विलीन हूँ,
शाश्वत सा अंतहीन हूँ,
अब न चाहत न कोई लगाव,
मैं अब सम्पूर्णता की तलाश में हूँ।।

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31 MAR 2020 AT 2:30

मैं मजदूर हूँ.....!
खुली आँखों से कैसे ये मंजर देखूँ!
क्यों मैं, सड़क पर भटकता हिन्दुस्तान देखूँ!!
भूख से बेबस हैं हर बसर यहाँ!
क्यों मैं, इंसानियत की जलती तासीर देखूँ!!
नफरतों से देखूँ या उम्मीदों की डोर से!
क्यों मैं, निर्वाचित सरकारों की निष्ठूरता देखूँ!!
हैं यहां झूठे और स्वार्थी नेताओं का जमावड़ा!
क्यों मैं, वैश्विक विपत्ति मे राजनीतिक जहर देखूँ!!
जिन शहरों की चकाचौंध मे खून-पसीना बहाया!
क्यों मैं, आज वहाँ जीवन को लूटता देखूँ!!
फलती-फूलती इन दुश्वारियों में!
क्यों मैं, हर रोज गमों से होती यारी देखूँ!!
भय,भूख,खौफ, तन्हाई!
क्यों मैं, इन सबको मुझमे देखूँ!!
मैं मजदूर हूँ ,कोई तो समझो दर्द-औ-गम़ मेरा!
क्यों मैं, आज मुड़कर मेरा गाँव देखूँ!!

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7 APR 2018 AT 7:24

अब हो चला खफ़ा.....ज़माना भी हम से....

अब हो गया यक़ी.....बुरे हम ही है सबसे...!

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7 FEB 2020 AT 10:27

"वो मैं हुँ....."
झलकाये होंगे कई जाम तुमने मैखाने में,
पर हर घुट मे तुम्हें रुला दे वो शराब मैं हुँ,

आते होंगे कई Messages तुम्हें, आज के वक़्त मे,
जिसे अब तक ना भूले, हो वो ख़त मैं हुँ,

जलाये होंगे लाखों Light तुमने दिवाली पे,
जो अंधेरे में भी उजला करदे, वो एक दिप मैं हुँ,

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