(🚩विक्रम संवत् मनायेंगे🚩)
यह कैसा नववर्ष आया हैं, जब सूरज भी शरमाया है,,
कांप रहा जनमानस सारा, अंधकार बस छाया है।
नव नूतन है कुछ भी नहीं, बस दुखद आगमन पाया हैं।
बस्ती, गलियों में सब सुना, मौसम ने ठंड बढ़ाया हैं।।
ये हवा पश्चिमी जान गये, हम अपना नववर्ष सजाएंगे,,
हम आर्यवर्त के वासी हैं, विक्रम संवत् मनाएंगे।
सत्य सनातन ध्वजा लिए, जब मास चैत्र दिन आएंगे।
मनभावन मौसम के संग, वृक्षो पर कोपल खिल आएंगे।।
हर जनमानस के भीतर एक नई उमंग हम पाएँगे,
दुल्हन बनी तब धरती से तब खेतों में रौनक आएंगे।
राम नाम के संग नव नूतन दिन तब आएंगे,
हम आर्यवर्त के वासी हैं, विक्रम संवत् मनायेंगे।।
तब अपने संस्कृति से हम गौरवान्वित हो जाएंगे,
हम आर्यवर्त के वासी हैं, विक्रम संवत् मनायेंगे।।
(चन्दन राय"छोटु")
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