• ना जीत का उत्साह,ना हार की व्यथा ,
किंकर्तव्यविमूढ़ सा लगने लगे जब जीवन ....
• तू दुविधा को पाट दे ,धूम्र को भी छांट दे
फिर देख स्वर्णिम हो चलेगा कण कण ....
• अकेला तू ही योद्धा ना कोई साथी ,सहचर
यही सिखाता जा रहा है हर क्षण ....
• अजेय,अमिट्य ,साहसी,वीर नंदन भारती,
पौरुष के बल पर ही प्रासाद बनते कानन ....
• पराजय ना स्वीकार तू,आलस्य को भी त्याग तू,
फिर देख पारस सा हो चलेगा जीवन ....
• धवल स्वप्न मात्र ही कुंजी नहीं है स्वर्ग की,
कर्म प्रधान जब बने संवर उठेगा जीवन ....
© Aditi Tripathi
-