Ankit Pandey 5 NOV 2017 AT 18:50 काँपते होठों पर से भीआवाज़ यही निकलती है..उम्मीद की पतली डोर को पकड़े,हलक़ पे जान ये चलती है ।बर्फ का भले है गिरा समंदरघुटा पड़ा तो है अब दम..अरे साँस अभी भी ज़िंदा हैइतनी जल्दी थोड़े ही मरेंगे हम । - ANAMIKA GHATAK 26 NOV 2017 AT 11:25 तिश्नगी हलक़ की थी लगी बड़ी तलब थीचाय की चुस्कियों से आखिरलबों ने प्यास बुझायाGood morning - ETHEN ROY 21 APR 2017 AT 15:36 तेरा ना होना जो हलक से उतर जाएतो इश्क़ मेरा फलक से उतर जाए - ANAMIKA GHATAK 21 APR 2017 AT 8:09 तेरे नाम की माला मुझसे न फेरा गया न फेंका गया- हलक़ में फँसी हो कांटा जैसे न निगला गया न उगला गया - Saurabh Tyagi 4 MAY 2018 AT 2:44 हलक़ से उतरती है शराब, पसीने में बह जाती है,शाम से पिये जातें हैं,जाने कब सुबह आती है... -