हमेशा तुम सोचते हो, मैं कौन हूं...
मैं निष्पक्ष हूं, निष्काम हूं
हर मन में बैठा राम हूं
मैं साकार हूं, निराकार हूं
तेरा तुझसे साक्षात्कार हूं
मैं स्वयंभू जागृत विवेक हूं
शिवलिंग का रूद्राभिषेक हूं
मैं परमज्ञानी, मैं निर्गुण हूं
कन्हैया की बांसुरी की मधुर धुन हूं
मैं अनंत हूं, अविनाशी हूं
मैं मथुरा, अयोध्या, काशी हूं
मैं शक्ति हूं, अतिसूक्ष्म हूं
मैं जगतपति, परम सत्य सम्पूर्ण हूं !!
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