QUOTES ON #हमराह

#हमराह quotes

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13 SEP 2020 AT 12:38

मंज़िल-ए-उल्फ़त के रास्तों पर हूँ
मैं तो उसके दिए उन वास्तों पर हूँ

अभी हम-राह नहीं मिला 'आरिफ़'
मैं मंज़िल-ए-अरमाँ से राब्तों पर हूँ

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19 MAY 2020 AT 19:36

"इश्क आए-दिन मारेगा तुम्हे","बेटा!!हम भी यहीं थे"
कोई अजनबी थे वो,पर लगता है जो भी थे सही थे!!

इश्क में इजाज़त नहीं है तुम चेन-ओ-क़रार से रेह सको
जो सब बढ़ गए उससे आगे निकलकर,उनमें जूठे कई थे!!

बड़ी तादाद में हाजिर थे लोग उनके राहत के लम्हों में
बरसा कहर!आधे इधर गए आधे उधर गए,हम वहीं थे!!

मुख्तलिफ थे दोनों अपने अपने दिमाग़-ए-इज्ज़ से
वो तशरीह कर रहे थे रोकर वफा अपनी,हम खामोश नदी थे!!

कुछ आज़ार में थे जब हम मुंह के बल गिर कर उठे
जख्म कुरेद कुरेद कर मुस्कुराए वो अपने ही हमनशी थे!!

अकेले नहीं थे!वाबस्ता थे कई सारे हमसे सर-ए-राह में
कुछ कुछ बिछड़ गए,बचे हुए नया राही चुने वहीं कहीं थे!!

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28 JAN 2020 AT 0:45

#हमराह
'मंजिल' का तो पता नहीं लेकिन वो 'राह' कितनी खूबसूरत होगी जिसका 'हमराह' तू रहेगा..
ढूँढ़ ही लूँगा मैं खुशियों का ठिकाना जो हर सफर में मेरा 'हमसफ़र' और 'शागिर्द ए पनाह' 'तू' रहेगा..

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24 JUN 2017 AT 2:43

अहसास भी उसी से मिले
जिससे हैं यह घाव मिले
कैसे करूँ शिक़वे..
कैसे करूँ मैं उससे गिले

उसी ने तो इश्क़ का मतलब, था सिखलाया
बनके महताब..
मेरी स्याह काली रात को, था चमकाया
आज अगर वो बेवफ़ा हो गयी तो क्या
वफ़ा का पाठ भी तो, उसी ने था पढ़ाया
बस अब इतनी सी है दुआ
मेरी सुन ले वो इतनी सी इल्तिज़ा
अपना दामन वो, और नापाक ना होने दे
अब किसी और को, उसे बेवफ़ा ना कहने दे
जो हमराह उसने अब चुना है
वो उसी का सानी रहे,
उसी से शुरू, उसी पर ख़त्म
उसकी ज़िंदगानी रहे
- साकेत गर्ग

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22 MAY 2017 AT 12:24

जानते है इस काबिल नहीं कि तुम्हारी मंजिल बन पाये
एक मौका दीजिये क्या पता हमराह बन जाये ।।

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21 AUG 2020 AT 13:01

हमदर्द, हमनशीं, हमराह, हमराज
महज शब्दकोश में रह गए है

दुनियां की भीड़ में खुदगर्जी ही सही है।।।

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24 MAR 2017 AT 2:13

मुझ पर 'यार' ने किया जो सितम बताया ना गया
आँखों में आया जो 'दिल का गम' छुपाया ना गया

तन्हाई में घुटता रहा अकेला-अकेला मैं
मुझसे उस 'ज़ालिम' को फ़िर बुलाया ना गया

बर्बाद करके बैठा हूँ अपनी सारी जवानी
मगर उस बेदर्द पर 'कहर' ढहाया ना गया

दर-ब-दर भटकता रहता है यूँ दीवाना
इस दीवाने से उस हमराह को सताया ना गया

जला दिये सारे ख़त, गुलाब और ख़्वाब 'सागा'
पर मुझसे उस ज़ालिम का गम जलाया ना गया

- साकेत गर्ग 'सागा'

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29 NOV 2017 AT 4:15

आ चार कदम आगे इन राहों में,
और देखो मुझे तुम इंतज़ार करते हुए.....
रोक दिए है कदम इस मंज़िल पर,
क्योंकि अगली मंज़िल हमारी है......!

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25 DEC 2016 AT 12:12

ये राह ही मेरी हमराह है,
मुझे न किसी मंजिल की चाह है।

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10 MAR 2022 AT 23:13

हमराह

मैं रो पड़ता हूं जानकर
तुम्हारे घड़ियाली आंसू
मैं हस पड़ता हूं देखकर
तुम्हारी झूठी हसीं।

मैं परेशान हूं ये देखकर के
खुद को खुदा बतला रहे हो।
कह दो के मैं कुछ भी नहीं
तो मैं बेफिक्र हो जाऊं।

मै थकने लगा हूं देखकर
के तुम मेहनत नही करते
क्या मेरी कोशिशे देखकर
तुम हार मान रहे हो।

मै अलग चल पड़ा हूं देखकर
के तुम भीड़ में शामिल हो
गर पहले पहुंच जाओ
मंजिल पर जरूर मिलना।

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