QUOTES ON #हँसी

#हँसी quotes

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31 JAN 2020 AT 12:39

तेरी हँसी को देख मैं भी खुश हो लेता हूँ,

तेरे दुःख को देख मैं भी रो लेता हूँ।

जिंदगी में मुस्कुराना तूने ही तो सिखाया है,-2

तभी तो एक तू ही है जिसे मैं अपना कह लेता हूँ।।

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11 DEC 2019 AT 17:30

उफ़्फ़.., वो पहला प्यार वो पहले आँसु
यह दर्द पुराने सह ले आँसु,
खोल ना पलकों पे राज़ दोबारा
दिल की दिल से ही कह ले आँसु,
चुभते हैं यह शगूफे यादों के
अब इक "उफ़्फ़" इक "आह" में रह ले आँसु,

बैठे-बैठे यूँ ही दिल भर आया
श.श.शश.. चुपके-चुपके बेह ले आँसु..!

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17 MAR 2019 AT 20:43

मेरी एक मिस
क्लास में मुस्कुराते हुए आतीं थीं
🚲

फिऱ भी
बच्चों को डबल धोके जाती थीं

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27 APR 2019 AT 11:01

देखो..

तुम उत्तेजना में..

राहुल जइसे..झूठ ना बोलो..😊

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13 MAR 2019 AT 22:50

ठोकरों से
अकल भी आत है
💬
अउर
कबहुँ..कबहुँ नाखून भी उखड़ जात है.. 😊

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13 FEB 2019 AT 21:50

शास्त्रों में तीन हठ प्रसिद्ध है राज हठ, बाल हठ, स्त्री हठ। राजा अब रहे नहीं, बच्चे समझदार हो गए, पर स्त्री तोबा-तोबा! 🙄☺️

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9 AUG 2019 AT 9:13

बिगड़ा हुआ शायर हूँ बह्र बेच खायी है मैंने
बेफ़िज़ूल के शे'रों से ये ग़ज़ल बनायी है मैंने

दिल के दर्द भी काग़ज़ पर लिखता हूँअक़्सर
बेवजह क्यों अब अपनी चोट दिखायी है मैंने

जिसको देखो वो मजनू हुआ घूम रहा है यहाँ
जबसे उसको छोड़ने की कसम खायी है मैंने

जिसका जो भी मन किया बोलकर चला गया
उल्टा सीधा लिख लिखकर हँसी उड़ायी है मैंने

सबको पढ़ पढ़कर सीख ही लूँगा कुछ न कुछ
मेरे दिल में हर पल यही उम्मीद जगायी है मैंने

अब जब लिख रहा हूँ तो निभाना पड़ेगा मुझे
क्यों लिखकर मिटने वाली कलम उठायी है मैंने

न रदीफ़ और न क़ाफिया मिला कभी "आरिफ़"
ग़ज़ल हर बार आठ अश'आर की बनायी है मैंने

बिना लिखे भी "कोरा काग़ज़" ही मैं कहलाता
क्यों बेवजह कलम की स्याही जलायी है मैंने

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10 DEC 2020 AT 19:48

मरहम समझतें हैं हम जिसे,कम्बख्त वो और गहरे जख़्म दे जाता है।
जिसे हम खुशियाँ की वजह कहते हैं,कम्बख्त वही बेवजह गम दे जाता है।

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19 JUL 2020 AT 18:47

वो जैसी थी नहीं उसे वैसा बताया गया है
इस अठखेलती निगाहों को सताया गया है
हर शाम कभी आती थी हँसने की आवाजें
मेरा यकीन करो यारो उसे रुलाया गया है।

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6 SEP 2018 AT 11:53

जरूरी है आँसुओ का ढुलक आना,
अखरता है जमाने को सलामत नजर आना,

जरूरी है जहां में सहारा होना,
हँसता है जमाना चार कंधो का न होना,

जरूरी है बात है तो बात होना,
बनाता है जमाना अफवाहों से बातों का होना,

जरूरी है लबों को मुस्कान से सिलना आना,
चुभता है जमाने को फूले रुख़सारो का नजर आना ।।

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