मौजूदा वक़्त में लिखने वालो की संख्या अधिक हो गया है ,पढने वाले की संख्या घटते जा रहे है .....अच्छा पाठक ब्लैक-बोर्ड पर मिटाए गए अक्षरों की धुँधली छायाओं को भी पढ़ लेता है !!
हम तो दर्द लिखते है हंसते कम है आज कल के जोक पढ़ कर भी हंसी हम को आती नही जोक नही होते वो तो लोगो का मज़ाक बनाते है इसलिए जोक पढ़कर या सुनकर भी होंठो पर हंसी आती नही