QUOTES ON #सफ़र

#सफ़र quotes

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9 MAY 2020 AT 9:40

रात की कालिमा हर लो तुम,
मुठ्ठी में उजाला भर लो तुम,
साये का हाथ जकड़ लेना,
जुगनू का साथ पकड़ लेना,
उम्मीद का दामन बाँध रखो,
कदमों को अपने साध रखो
यूँ रहगुजर अधूरा मत छोड़ो,
ये सफर अधूरा मत छोड़ो !

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12 MAY 2020 AT 0:51

माना मुश्किलें है इन रास्तों में तुम डर कर सफ़र अधूरा मत छोड़ो
मंजिल दूर हुई तो क्या तुम प्रयास करने से पहले हिम्मत मत छोड़ो

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9 MAY 2020 AT 16:03

क़यामत तक
ख़ुदाई याद रखेगी तेरी रवायत तब

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6 JUL 2020 AT 9:04

हज़ार दिन ज़िन्दगी के.. मरने का इक क्षण
वक़्त की रेत में.. सब धूल के हैं कण,

आसमाँ सर पे उठाके कहाँ ले जायेगा बंदे
मिट्टी का मिट्टी से.. मिलने का है प्रण..!

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9 JUL 2020 AT 9:21

ज़िन्दगी ख़्वाइशों का समुंदर
... हैं ख़्वाब सारे जहाँ के,

मिले जो ना हमें... न जाने
...वो किनारे कहाँ थे,

बस... कश्ती सा सफऱ है
ना यहाँ के... ना हम वहाँ के!

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28 JUL 2021 AT 16:35

"ख़ुदा" से हमें.. ख़्वाब-ओ-ख्वाइशों की बेइंतहा दौलत मिली
पऱ ना मन मुताविक जीने की ना.. मरने की सहूलत मिली,

जैसा हमनें सोचा था.. वैसा तो कुछ भी पाया नहीं
मिली ज़िन्दगी.. वो भी जीने की इक उम्र तक ही मुहलत मिली,

ना जमीं के ना आसमां के.. परिंदे तो उम्रभर बेघर ही रहे
कहें.. टूटे तारे आसमां के.. क्या अजीब सी शौहरत मिली,

ख़ैर.. शिकवा क्या करें.. जो मिला अच्छा मिला
शुक्रिया "ख़ुदा".. तूने जो दिया.. अब यह ज़िन्दगी भी तो तेरी ही बदौलत मिली!!

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22 FEB 2020 AT 9:46

मैं मुसाफ़िर हूँ औऱ मेरा ठिकाना भी है
पऱ अफ़सोस अपना ही घर बेगाना भी है,

दिमाग़ के साथ यह दिल भी दे दिया ख़ुदा ने
कम्बख़्त अब रोना भी है औऱ मुस्कुराना भी है,

ख़्वाइशों का पंछी भी नादां यह समझता ही नहीं
पगले..,जितना ऊपर उड़ेगा उतना ही नीचे आना भी है,

सदा के लिये कौन रहा है ज़िन्दगी तेरे आशियाने में
यहां बेबस जीना भी है औऱ ना चाहकर मर जाना भी है..!


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22 NOV 2021 AT 8:05

अच्छा हुआ जो झड़ गए मन के अहम के पत्ते
वरना.. ऊंचाई से गिरने का पता कैसे चलता,
और जो नए अंकुर फूटे हैं वक़्त की टहनी पे
उन्हें मौसमों से लड़ने.. का पता कैसे चलता,
है ना..,

शुक्र है.. के तू मुझे नहीं मिली हमदम
मिलती तो.. बिछुड़ने का पता कैसे चलता,
माना के ख़्वाबों के तारे टूटते हैं.. ज़िन्दगी
पऱ टुटकर भी.. ना बिखरने का पता कैसे चलता,
है ना...,

भला हुआ.. जो नहीं रुका.. नयनों का पानी
नहीं तो नदिया को झरने का.. पता कैसे चलता,
और अच्छी है "दिल".. चहरे पे कोयले सी कालिख़
वरना मिट्टी को सोने सा.. निखरने का पता कैसे चलता,
है ना...!

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20 SEP 2021 AT 8:59

"वोहि उदासी" "वोहि तन्हाई" फ़िर वोही सब है
उफ़्फ़.. फ़िर से वोहि ज़ुस्तज़ु.. फ़िर वोही जद्दोजेहद है,

सोचता हूँ.. के काश कोई सरहद होती ख़्वाइशों की
कमबख़्त क्यूँ इनका यह सफ़र है बेशुमार सा.. और मुश्किल बेहद है,

बाखुदा.. आज फ़िर से उन्हीं मायूसियों की गलियों से गुज़रना होगा
ना ख़्वाबों ने रास्ते हैं बदले.. ना आज फ़िर मेरी ज़ुस्तजू अलग है,

काश जाँ देके ही मिल जाये कुबेर का खज़ाना मुझको
जी तो ना सके.. पऱ अब सुकूँ से मरने की बड़ी तलब है,

"वोहि उदासी" "वोहि तन्हाई" फ़िर वोही सब है
उफ़्फ़.. फ़िर से वोहि ज़ुस्तज़ु.. फ़िर वोही जद्दोजेहद है..!

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13 JAN 2020 AT 18:13

"इतना ही सफ़र है प्रेम का
इस राह पे चलना ही कितना है,

बस जलना,
बुझना,
औऱ फ़िर सुलगना है..."

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