खामोश तन्हा बैठा एक शख्स
मन मे ना जाने कितने सवालो की
गठरी लिए हुए ,
कई बार पुछा उनसे मेने क्या हुआ
क्यूं हो परेशान इतने क्यूं खोये हो इतने ?
मैं जानती हूं उनकी खामोशी का राज,
समझती हूं उनके दिल का हाल ,
क्यूं खामोश है वो आज ,
कहां चुक हो गई उनसे ,
क्या कमी रह गई उनकी परवरिश में
सब कुछ तो सही था सब खुश हाल थे
फिर ये क्या हुआ कैसा वक़्त का कहर बरसा
सब कुछ बिखरा बिखरा ...
बचपन से जवानी, जवानी से उम्र के ईस पड़ा तक
जो बगिया सजाई थी मेहनत के फूल खिलाये थे
आज क्यूं मुरझाए मुरझाए से है ...?
इन्ही सवाल मे गिरे खुद से ही सवाल जवाब करते
चाह कर भी कुछ ना कह पाते अंदर ही अंदर घुटते
देखा है मेने ...
#मीनू
-