QUOTES ON #स्याह

#स्याह quotes

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14 MAY 2017 AT 10:35

वो सब समेट लेती है खुद में,
गम के, खुशी के, शिकायत के,
रंग सारे समाते हैं उसमें;
लोगों की तरह रंग नहीं बदलती,
एक सी ही रहती है-
स्याह काली।

और फिर भी लोग पूछते हैं-
ऐसा क्या खास है उसमें?
मोहब्बत क्यूँ है एक काली कमीज़ से?

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26 MAY 2018 AT 20:42

सैलाब दबा कर रक्खा है,
इतिहास के स्याह पन्नों में,
भविष्य होने फना रक्खा है।

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8 MAY 2017 AT 21:05

हमने भी आज महबूब का क़माल देखा है
आँखों में उसकी 'मोहब्बत का' सवाल देखा है

जो हमसे कभी नज़रे भी ना मिलाता था
ज़ेहन में उसके 'अपने लिये' ख़्याल देखा है

तन्हाइयों में रोते-रुलाते कट रहे थे सारे दिन
आज हमने 'सारी रात' मोहब्बत का बवाल देखा है

अब तक थी ज़िन्दगी स्याह काली सी
आज हमने 'रंग-ए-मोहब्बत' लाल देखा है

हर कोई बिक रहा है मोहब्बत के बज़ार में
हमने भी 'बज़ार' में यह दिल उछाल देखा है

सुना है मोहब्बत में बहक जाते हैं ख़्वाब सारे
हमने 'एक ख़्वाब' कईं ख़्वाबों को संभाल देखा है

मोहब्बत में हो जाती है जिस्म-ओ-रूह यार की 'सागा'
हमने भी इस बार 'ख़ुद में से' ख़ुद को निकाल देखा है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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13 AUG 2017 AT 17:49

एक बेरंग कहानी.....
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चिल्ला चिल्ला कर रोती आवाजों में
एक बिसूरते दिल की खामोशी बड़ी दर्दनाक थी
बेरहम हाथों ने कुछ, मिटा दिया था वह लाल सिंदूर
कोमल से हाथों में सजी वह हरी चुड़ियां तोड़ दी गई पत्थर पर पटक पटक कर....
कलाई मरोड़ कर चुड़ियां तोडने वाले लोग वैसे पत्थर से भी ज्यादा सख्त दिल के थे...
केसरिया वह आग की लपटें और ही भड़क रही थी
जला रही थी उसके गुलाबी सपने बालम की लाश के साथ....
वह चमकीला सुनहरा कंगना जो कभी प्यार से पहनाया गया था गोरी कलाई पर वह आज निकाला दिया बेजान हाथों ने...
घसीट घसीट कर नाई ने काट दिए उसके भूरे बाल
और ओढ़ दी मरी हुई लाश पर सफेद कफन और जिंदा चलती फिरती लाश पर सफेद साड़ी
उस सफ़ेदी में वह स्याह कालिख छुपी थी उस समाज के दकियानूसीपन की.....
जिसकी वजह से एक जिंदगी बेरंग हो गई थी।


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कभी-कभी हम भी क्या खूब लिखते हैं;
जुबां को रकीब और स्याह को महबूब लिखते हैं।।

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17 DEC 2017 AT 17:46

ए जिस्म, तू स्याह की चिन्ता ना कर....
मेरी रूह की लौ अभी जारी है .....

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12 SEP 2020 AT 14:03

ये स्याह रातें कुछ तो याद दिलाती है
हां शायद! तेरी वो काजल भरी आंखें;

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24 JUN 2017 AT 13:09

बिन मज़हब देखे वह सारी रस्में निभाता है,
इसलिए वह महताब सबको लुभाता है,
ग़र सोच श्वेत न हुई तो तुम भी यूँ मिटोगे,
यही अमावस का स्याह आसमान बताता है।





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19 OCT 2020 AT 11:54

तेरी पलकें उठें तो सहर, झुकें तो रात स्याह होती है,
तुम्हीं कहो और होती है कयामत तो फिर क्या होती है

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