दो बातें हो सकती हैं, या तो हम सफल होंगे या फिर असफल।
लेकिन अपने हिस्से की मेहनत, जुझारूपन से घबराना क्या।
कोई भी काम बड़ा या छोटा या इज्ज़त वाला नहीं होता।
जो क़िरदार मिला है करने, उसे करने में फिर शर्माना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो वो हमें मिलेगा या नहीं मिलेगा।
लेकिन उसको दिल खोलकर मोहब्बत करने में कतराना क्या।
जो वो सच्चा प्यार होगा तो सब जानता होगा हमारे बारे में।
उसे बार-बार जाकर के अपने दिल के हालात बतलाना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो हमारा नाम होगा या हम गुमनाम
पर आख़िरी बाज़ी खेले बिना ही हारकर हार मान जाना क्या।
इसे बस ज़िंदगी समझकर जो जीते हैं तो ग़लती करते हो तुम।
ये खेल है जिसका नाम ज़िंदगी है बिन मुकाबला हारना क्या।
दो बातें हो सकती हैं या तो तुम्हारे पास बहुत पैसा होगा या शून्य।
जिस भी स्थिति में रहो दूसरों की भलाई से पीछे हट जाना क्या।
किसने कहा कि केवल धन से ही लोगों की भलाई होती हैं "अभि"।
पहुँच, पहचान, ज्ञान, बल, बुद्धि है तो मदद करो, इसमें सोचना क्या।
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