QUOTES ON #सृजन

#सृजन quotes

Trending | Latest
18 MAY 2019 AT 6:19

सृजन की इस कड़ी में,
अपने पिता की एक बूंद,
और माँ का अवर्णनीय आनन्द हूँ मैं।

-


30 JUN 2021 AT 0:19

प्रेम में गिरफ्त मन
संवेदनाओं का भंवर
यूं ही नहीं झेलता
शायद
सृष्टिकर्ता ने
लिखा एक प्रेम पत्र
और
धरती के आंचल में
बांधकर भूल गया
जहां से
अब भी
रिस रही है
प्रेयसी की व्याकुलता
मानव हृदय में
अंन्त में
प्रलय
जब सबकुछ
समेट रही होगी
अपने आगोश में
तब भी
बचा रह जायेगा
वह प्रेम-पत्र
और
संवेदनाओं का भंवर
इक नई
सृष्टि का
बीज बनकर ....! !

-


10 MAY 2020 AT 13:04

जैसे ईश्वर ने रचा है
अनादि ब्रह्माण्ड को...
वैसे ही सृजती है माँ
प्रेम से सन्तान को!

भागीदार बनती है
ईश्वर के विराट खेल की,
ईश्वर के समान ही होती है माँ!

-


5 FEB 2019 AT 0:33

अद्भुत है मन से भाव, भाव से सृजन✨
जैसे समुन्द्र से सीप , सीप से मोती!
अचेतन से चेतन, चेतन से अचेतन💕

-


13 MAY 2021 AT 10:03

-


8 MAR 2021 AT 10:02

हाॅं, मैं एक स्त्री हूॅं
*************
सृजनात्मकता का दायित्व उठाए
वात्सल्य को सीने से लगाए
पीड़ा को नौ महीने पेट से बाॅंधती हूॅं ,
हाॅं , मैं एक स्त्री हूॅं।

पारिवारिक हित के लिए स्वहित को भूलाकर
सपनों को कर्तव्यों की बलि वेदी चढ़ाकर
परइच्छा हेतु स्वइच्छा भूलाती हूॅं,
हाॅं , मैं एक स्त्री हूॅं।

मान-मर्यादा व संस्कार क्यों केवल स्त्री हिस्से आएं
क्यों केवल वो पति की अनुगामिनी ही कहलाए
ईश्वर की देन हैं दोनों स्वअस्तित्व भी रखती हूॅं,
वो पुरूष हैं तो मैं भी एक स्त्री हूॅं।

इस पुरूष प्रधान समाज में नारीत्व भी जागेगा
पुरुषत्व के आगे कभी भी स्त्रीत्व नही हारेगा
सृष्टि-संचालन हेतु समान अधिकार रखती हूॅं,
गर्व से कहती हूॅं, हाॅं, मैं एक स्त्री हूॅं।
......…. निशि..🍁🍁

-


3 JUN 2019 AT 11:25

फूंक रहे थे सृष्टिकर्ता
जब दोनों में जान

दी थी उसने दोनों को
शक्तियाँ बिल्कुल समान

किंतु....

एक का था
अति कोमल मन

दूजे को देकर
अपना सर्वस्व

उसने
बस चुन लिया सृजन...

-


31 OCT 2018 AT 10:07

जीव जब मरने लगता है
सृजन करने लगता है

-


29 JAN 2019 AT 12:32

सृजन

जो कुछ तुम सृजन करते हो,
तुम वही दे सकते हो इस संसार को.
बिना स्वयं को परिवर्तित किये,
बदल नहीं सकते औरों के संस्कार को.
फूल पराग का सृजन करते हैं.
मधुमक्खी शहद का निर्माण करती है.
इस धरती पर जलवायु,
सम्पूर्ण जन जीवन में प्राण भारती है.
तुम भी कुछ ऐसा करो कि,
इस जगत में तुम्हारी पहचान बन जाय.
इंसानियत को मंज़िल मिले,
और यहां का हर मनुष्य इंसान बन जाय.



-


14 FEB 2019 AT 16:16

कागज़ को कलम चूमे तो सृजन प्रेम का होता है
धरती संग गगन झूमे तो सीजन प्रेम का होता है

-