जर्द हो जाए आफताब, तो फिर क्या करोगी,
कल को मुरझाएंगे गुलाब, तो फिर क्या करोगी?
बहुत ही मुश्किल से मैं खुद को जज्ब करता हूँ,
लबों पर आ गए जज्बात, तो फिर क्या करोगी?
ये आशनाई, इश्क, प्यार, वाकई बहुत अच्छा है,
हो जाएगी सबको खबर, तो फिर क्या करोगी?
सुरूर है मुकद्दस कि मोहब्बत की यह तड़फ,
निकल आये सवालात, तो फिर क्या करोगी?
बहुत आता है दिलकश लुत्फ रूठने मनाने में,
कंही लग जाये कोई बात, तो फिर क्या करोगी?
सजा तो लूँ तुमको गर आंखों में सूरमे की तरह,
कभी आ गई जो बरसात, तो फिर क्या करोगी?
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