जिंदगी का सुकून हो तुम, साँसों की लय-ताल हो,
जीने की वजह तुमसे, वो ही तो तुम सुर-ताल हो!
अंतर्मन की पुकार हो, जो अंतस की आवाज हो,
आँखों की दिव्यज्योति, जो रौशन मेरा संसार हो!
कनेर की कशिश हैं जो, वो तन मन की बहक हो,
महसूस करता पल-पल, वो ही तो तुम महक हो!
दिल के आँगन बसती है जो, वो सपनोँ का घर हो,
खुशियां जिस के नाम है, वो मेरा तुम त्यौहार हो!
रग-रग में बसी हो मेरे, तुम वो सनसनाहट रक्त हो,
खामोशी के शब्दार्थ जो, वो अनकहा अव्यक्त हो!
हर शब्द में तेरा नाम जो, वही तो मेरी पहचान हो,
होगें जिसमें हमारे किस्से, वो मुकम्मल किताब हो!
जिंदगी की हर सुबह हो, चाहे वो कोई हर साँझ हो,
हिचकी आखरी जब भी हो, वो "राज" तेरे नाम हो! _राज सोनी
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