Varun Pande 6 MAR 2020 AT 9:17 रात आ गयीपर अँधेरा बाकीरात होने तकसवेरा साक़ी - Shabina Khan 1 DEC 2019 AT 0:32 कुछ इस तरह रहा सिलसिला उनसे शिद्दत कावह रास्ते बदलते रहे हम उनके नक्श-ए-पा पर चलते रहेकुछ इस तरह रहा सिलसिला उनसे कुरबतों कावह फासलों से गुजरते रहे दिल से आवाज़ क़दमों की आती रहीकुछ इस तरह रहा सिलसिला उनसे दर्द का वह चोट खाते गए हम ज़ख्म सेहते गएकुछ इस तरह रहा सिलसिला उनसे शनासाईयों कावह जब भी तन्हा हुए हम उनके खयालों से गुजरते रहे - Rana 2 JAN 2022 AT 16:06 फिऱ वही पुराना साल.. नया बनके आ गया हैकमबख़्त.. फिऱ उन्हीं सुर्ख़ सी.. तारीखों से गुज़रना पड़ेगा,फिऱ जानबूझकर.. ना चाहकर भी हँसना-खिलखिलानाफिऱ ज़िन्दगी तेरे उन्हीं बेढंग से.. लतीफ़ों से गुज़रना पड़ेगा,उफ़्फ़... फिऱ से बनाने पड़ेंगे बनावटी चेहरेफिऱ मुस्कुराते हुए.. रोज़ शीशों से गुज़रना पड़ेगा,फिऱ लिखेंगे हम अपनी बेतरतीब सी "मनकीबातें"दिल फिऱ उन्हीं झूठी.. तारीफ़ों से गुज़रना पड़ेगा,बस.. कहने को तो नया साल आया है ज़िन्दगी मेंपऱ अफ़सोस फिऱ उन्हीं पुरानी.. तकलीफों से गुज़रना पड़ेगा! - नया👇अकाउंटफोलो 2 JUL 2020 AT 13:21 मिला भी नहीं , जुदा भी नहीं , ये कैसा है सिलसिला, जो थमा ही नहीं ! - Arif Alvi 28 JUL 2019 AT 12:48 जवाब क्या दूँ सवाल अभी बाकी हैंतुझे भुला दूँगा ख़्याल अभी बाकी हैंबेवजह मुझे गुनाहों की सज़ा मत दोबेक़सूर हूँ बुरे आमाल अभी बाकी हैंज़िन्दगी मिली पर ज़िन्दा नहीं हैं लोगदिल मिल गये जमाल अभी बाकी हैंकितनी भी मोहब्बत दिखा दो किसी कोपीठ पीछे होने वाले कमाल अभी बाकी हैंअच्छे दिनों का इन्तज़ार मत करना अबहर दिन अच्छा है बुरे हाल अभी बाकी हैंदर्द एक सिलसिला है जो ख़त्म होता नहींज़ख्मों का सूखना फिलहाल अभी बाकी हैजिसको देखो "आरिफ़" का हुआ बैठ गयादोस्ती है पर रंजिशों के जाल अभी बाकी हैं"कोरा काग़ज़" लिये बैठा हूँ लिखने ख़ुशियाँपानी तो मिल गया बस गुलाल अभी बाकी है - Ankita Tripathi 30 OCT 2017 AT 9:18 एक नया सिलसिला शुरू करते हैं कभी दूर न जाने का - Sushma Thakur 29 JUL 2019 AT 0:33 वक़्त का सिलसिलाचलता रहता है अपनी गति सेये वक़्त ही है जो कभी सोता नहीहर पल हर लम्हा संजोया गयाहै ज़िन्दगी का वक़्त के धागों सेकभी खत्म होता नहीवक़्त का सिलसिला ।। - जर्जर 3 MAY 2021 AT 11:42 यूँ कटकर कलेजा हर रोज जाता है कब्र में कमबख़्त यादें बरबस आंखे निचोड़ देती हैं - ℝ𝕒𝕛 𝕊𝕠𝕟𝕚 29 OCT 2019 AT 15:43 उसकी बातें, उसकी यादें,अक्सर लौट आती है,मेरा होना क्या थाकी तेरा होना क्या था.तनहाई औऱ चाँद तलेसिलसिला बिते पलों का,अहसास है तेरे वजूद काकी तेरा होना क्या था..गुजरे पलों के हिसाब हैकुछ लेना-देना बाकी है,अब तुम लौट आओकी तेरा होना क्या था.. - Niharika Karan 2 SEP 2017 AT 13:19 यूँही लिखते जाने का,मिलने-मिलाने का ये जो सिलसिला शुरू हुआ है कही-अनकही कह जाने का...चलते-चलते ठहर जाने का अपने से हुए एक अनजाने काये जो सिलसिला शुरू हुआ है बेवजह ही रूठने-मनाने का...ये चलता रहा जो इसी तरहशाम-ओ-सहरपहर दोपहरतो सुनो!मोहब्बत होना तय है...मोहब्बत होना लाज़मी है...फिर चाहे मुझे तुमसे होया तुम्हें मुझसे!!! -