कागज की कस्ती बना कर
किनारे बैठ कर देखता हूं
नैया मेरा बहुत डगमगाए
मगर साथ किसी का न भाया
सोचता हूं रखलू ..
एक मल्हाह किसी दिन
फिर मै डर जाता हूं
डूब न जाए कस्ती मेरा
∆$πu
-
रूह की आवाज भी होने लगी कम,
ज़माने ने दिये ऐसे हमको गम,
सहते-सहते टूट गये हम
इस जमाने को फिर भी न आया रहम।-
लोग इंतजार करते रहे गये
की हमे टूटा हुआ देखे,
और हम थे कि सहते-सहते
पत्थर के ही हो गये....
-
गम सहते-सहते गम की ख़बर नहीं होती
अश्क तो बह जाते हैं आंख नम नहीं होती-
दर्द ही दर्द है जिंदगी में...
मर जाऊँगा सहते-सहते.....!-
लोग इन्तजार करते रह गये, कि हमें टूटा हुआ देखें,
और हम थे कि सहते_सहते पत्थर ⛰ के हो गये ।-
क्या पूछे तुम्हें ये दिल कहां कुछ याद रहता था
दिलाती याद जब भी तब यही एक बात कहता था
अलग तो हैं नहीं हम तुम जो एक दूजे को भुला देंगे
रही बस सोच कर ये दिल तेरी हर बात सहता था
❤️-
लोग इन्तजार करते रह गये, कि हमें टूटा हुआ देखें,
और हम थे कि सहते-सहते पत्थर ⛰ के हो गये ।-