जूगनूओं के हाथों पयाम़ भेजा है । खत में आखिरी सलाम भेजा है । बड़ा बेचैन सा था, दिल कुछ दिनों से । उनकी नामंजूरी ने आराम भेजा है । जूगनूओं के हाथों पयाम़ भेजा है ।।
तुम भी एक सिकंदर हो बुजदिली का न नाम दो ज़िन्दगी जीनी है तो अपने मक़सद को अंजाम दो डगर बहुत कठिन है पहले ही सोच के बैठे हो बाहर निकलो यार राह की ठोकरों को सलाम दो