QUOTES ON #सरिता

#सरिता quotes

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4 AUG 2020 AT 0:06

बहने तो बहने होती है,कुछ पल का साथ ही बहनों का होता है पर वह भी बहुत खास होता है दीदी, दि,छुटकी,चुटकी,छोटी,मोटी कुछ भी कहो छोटी हो या बड़ी आखिर बहने सब कुछ सुनकर तुम्हें पीट ही देती है मम्मी-पापा से पिटवाना हो या डटवाना हो इन कामों में बहने उस्ताद होती है पिटाई तो मैंने भी बहुत खाई है बचपन में अपनी बहनों से पर तुम्हें पीट कर भी वहां घर वालों के सामने चुप ही रहती है बहने कहीं भी हो इंदौर,मुंबई,भोपाल आपकी चिंता उन्हें लगी रहती है क्योंकि बहन जैसी कोई कहा होती है कुछ भी कहो बहने तो बहने होती है।🤗

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7 JUN 2017 AT 20:07

दोनों प्यासे थे।
कौन दोनों?
सागर और सरिता

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25 JUL 2019 AT 18:20

सागर से मिलने को व्याकुल है सरिता
कवि से मिलने को व्याकुल है कविता

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25 JUN 2021 AT 20:40

घण्टों की दूरी बरसो सी लगती हैं
एक पल न दिखे तो आंखे तरस जाती हैं

तुमसे जुदाई सहन नहीं होती हैं
तुम साथ हो किसी और की जरूरत नहीं है

मैं कोई प्रेमी की बात नहीं कर रही
मैं तो मेरे मोबाइल की बात कर रही

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1 FEB 2019 AT 12:51

कभी ह्रदय के भँवर में खो जाऊँ
फिर किनारे आकर ठहर जाऊँ
कभी नाविक को राह दिखाऊँ
कभी नौका का बोझ उठाऊँ
हाँ मैं नारी हूँ
सरिता सी बहती ही जाऊँ।
जो मन विचलित हो
मधुर राग सुनाऊँ
हो कितनी भी बाधाएं
खुद को गतिशील ही पाऊँ
हाँ मैं नारी हूँ
सरिता सी बहती ही जाऊँ।
हूँ मैं नीर सी बेरंग
जिस रंग में डालो मैं रंग जाऊँ
जीवन संगिनी बन
किसी की जिंदगी सजाऊँ
हाँ मैं नारी हूँ
सरिता सी बहती ही जाऊँ।
मुझमें विनम्रता भी
आत्म सम्मान की परिपूर्णता भी
सहनशीलता से दर्द समेटकर
नई जिन्दगी को दुनिया में लाऊँ
हाँ मैं नारी हूँ
सरिता सी बहती ही जाऊँ।

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25 FEB 2019 AT 6:32

इस मंच पर हमारी प्रथम सहेली
लगती है जैसे हो अद्भुत पहेली
शुद्ध हिंदी में करती कविता
नाम जिसका, हमारी प्रिय सरिता...!

नाम के ही स्वरूप प्रकृति
शब्दों से रचती सुंदर आकृति
हरपल निरंतर बहती रचना
सरिता लेखनी अप्रितम रसना...!

कभी दिखाती चूड़ियाँ, तो
कभी आँखों से करे घायल
जिनकी सुंदर रचनाओं के
हम सभी हो चुके हैं कायल...!

रंग रूप तो नहीं देखा लेकिन
काव्य लेखन का कमाल करीना
शब्दों को ऐसे तराशे
पारखी का जैसे कोई नगीना...!

जी खोल करे तारीफ़
चेहरे पर लाए मुस्कान
हौसला बढ़ाए, गलतियाँ सुधारे
हमारे लेखन में उनका भी एहसान...!

राणाजी की जो वनिता
काव्य की है पावन सरिता
छंद, अलंकार से सुसज्जित
शांत, सौम्य, माधुर्य उनकी हर कविता...!

दुआ हमारी ख़ूब करे जीवन में विकास
हसती खिलखिलाती रहे, न हो उदास
जीवन भर बना रहे, हमारा यूँ ही साथ
हरपल ईश्वर से हाथ जोड़, यहीं अरदास...!

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18 JUL 2018 AT 12:10

मुग्ध हूँ मैं
उस वाणी पर
जो सरिता सम
बह आती है
अपनी ही संगीत बनाती
कलकल करती जाती है..
(सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में)

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5 FEB 2021 AT 21:40

तुझे देखकर कविता लिखूँ, किस लिये?
स्वयं को सागर तुझे सरिता लिखूँ, किस लिये?
झुके नयन और अधरों में स्मित किस लिये?
परिचित को अपरिचिता लिखूँ, किस लिये?

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28 DEC 2020 AT 6:12

# 29-12-2020 #काव्य कुसुम # सुख की सरिता #
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दुःख और शोक ही इनसान को निस्तेज-निरुत्साही बना देता है ।

हास और परिहास ही इनसान को ओजस्वी-तेजस्वी कहा देता है ।

शोकाकुल रह कर कभी अपने दुःखों को दूर नहीं किया जा सकता -

हँसी और खेल-ठिठोली इनसान में सुख की सरिता बहा देता है ।

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4 AUG 2017 AT 8:19

मैं भी चल नर से नारायण हो जाऊँ ,
पी कर पि नाम का हाला
भाव सरिता से ऐसे उत्तरायण हो जाऊँ

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