माँ के इंतज़ार की हद पूरी हो रही है, ख़त लिखते लिखते अल्फ़ाज़ों में दूरी हो रही है, एक माँ का बेटा सरहद पर शहीद हो रहा है, बाकी सभी माँ की मन्नतें पूरी हो रही है।
बात मज़हब की सिर्फ इंसा करे, परिंदा तो मासूम होता है, न जानता दीवारें दिल की, सरहदों पर क्यों खून होता है! जमीं ढूंढने जब भी निकला, हर इंसान अपने हिस्से का, इंसानियत छुप जाती है कहीं, बाकी बस जुनून होता है !