QUOTES ON #सरफरोशी

#सरफरोशी quotes

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23 OCT 2018 AT 11:44

तेरे लफ़्ज़ों में आंखों की मायूसी दिख जाती है,
बहते हुए अश्कों की सरफरोशी दिख जाती है,
बिकती हैं जहाँ कहानियाँ तेरी दाम-ए-राहत पर,
वहाँ कीमत की बात पर तेरी ख़ामोशी दिख जाती है।

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15 AUG 2017 AT 8:09

सरफरोशी गर्मजोशी रह गयी इतिहास में
चिकनी चुपड़ी जिन्दगी के ख्वाब हैं अहसास में।

प्रीति

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14 MAY 2022 AT 7:43

कैसे समझाऊं सरफरोशी अपनी....
हजार जनम, भी ले लूंगा
अपनी लकीरों को बदलने के लिए
#sanjay

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15 AUG 2017 AT 16:50

🇮🇳सरफरोशी🇮🇳

है,"सरफरोश" हूआ,ये दिल
वतन की,खिदमत में है
ना मंदिर,ना गिरजाघर,
ना गुरूद्वारा,ना मस्जिद में है

चिंगारी भड़की ,अभी थोड़ी
रह डरकर,ये शोला बने को है
समेट देंगें ,तुम्हें ओ.. चीन
ये ताकत,बांजु-ए-कातिल में है

कि एकजुटता यहाँ नस-नस में है
क्या तोड़ेगा,ये नही तेरे बस में है
है ,सरफरोश हूआ,ये दिल
वतन की,खिदमत में है

कोशिशें लाख की
पाक् ने बेहिसाब की
अंत उसका,नजर आता
अब पूरे,पाकिस्तान को है

इस बारी, जान जाओगें तुम भी
कितनी "सरफरोशी",मेरे दिल में है
है, सरफरोश हुआ,ये दिल
वतन की, खिदमत में है।


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15 AUG 2017 AT 10:24

मत फेंको तिरंगा यूं सड़को पे
देश की ये धरोहर है
शहीदों की है कुर्बानी इसमें
मत कुचलों पैरों तले
आन देश की इसमें छिपी
जगतजननी का ये आँचल है
पैरों से अगर कुचलोंगे तुम
शान इसमें तेरी ही घटती है
जो बोया वहीं पाना है
एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाना है
दो सन्मान इस तिरंगे को तुम
इसीने चैन की साँस तुम्हे बक्षि है
सरफरोशी की तमन्ना अगर तुम्हारे दिल में है
बढ़ा तिरंगे की शान दिखाना प्यार कितना तुम्हारे दिल में है

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14 JAN 2022 AT 11:09

संभाल के रख नेमत की जिंदगी अपनी...
मेरी खुशियों की सरफरोशी में, जो तूने पाई है...
#sanjay

नेमत= भीख
सरफरोशी = गला काटना

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तुम बढ़ो मैं भी बढ़ूँ एक साथ में,
हौसलों का ज़िक्र हो हर बात में!

राह रोशन खुद करेंगे हम स्वतंत्र,
ले के उम्मीदों का दीपक रात में.!

साथ तुम जो हो फिकर कोई नहीं,
हम सबक सीखेंगे हासिल मात में!

मुश्किलों से जंग लड़ने के लिए,
दर्द के शोले भरो जज़्बात में..!

हर कदम मंज़िल से जोड़ेगा तुम्हें,
दूर जो लगती रही शुरुआत में..!

सरफरोशी दे मेरे मालिक मुझे,
और कुछ मांगा नहीं सौगात में..!

सिद्धार्थ मिश्र


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18 AUG 2019 AT 23:48

तेरे मासूम-से चेहरे पे ये मायूसी अच्छी नहीं लगती
तू जब साथ होता है तो खामोशी अच्छी नहीं लगती

मेरे हर वक्त, हर लम्हे में बस तेरा अहसास रहता है
बिना तेरे हो कैसी भी, वो खुशी अच्छी नहीं लगती

वो तेरा रूठना-मनाना, संजीदगी और मुस्कुराना
सब अच्छा है पर तेरी फरामोशी अच्छी नहीं लगती

मत खोज इतना, सिवा उसके ना मिलेगा कुछ भी
कि इस कदर दिल की तलाशी अच्छी नहीं लगती

हमेशा मांगी हैं मैंने अपने शिवा से महज़ खुशी तेरी
क्योंकि तेरे चेहरे पे हमें उदासी अच्छी नहीं लगती

यूँ तो आये कई चेहरे, बड़े पुरनूर और हँसमुख होकर
पर मुझे किसी और की ताजपोशी अच्छी नहीं लगती

वक्त रहते जरा सम्भाल ले तू भी खुदको 'अक्षु'
उसके वास्ते तेरी इतनी सरफरोशी अच्छी नहीं लगती

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#स्वतंत्रबाबा उवाच-भाव और शब्द

क्‍या मात्र शब्‍दों के जाल फैलाकर हम संवाद कर सकते हैं,एक सार्थक संवाद ......क्‍योंकि भावों के बिना तो शब्‍द भी अपूर्ण हो जाते हैं । भावों और शब्‍दों का संबंध तो सीप और मोती जैसा है........जिसमें शब्‍द मात्र सीप हैं जो भाव रूपी मोती से लिपटकर उसे संरक्षित एवं अभिव्‍यक्‍त करते हैं । भाव महत्‍वपूर्ण हैं क्‍योंकि वे शब्‍दों की आत्‍मा हैं । भाव आवश्‍यक हैं क्‍योंकि मौन होने के बाद ही दुनिया का कलरव अपने अंदर का कोलाहल हमारे सामने स्‍पष्‍ट होता है । शायद इसलिये हास्‍य,अश्रू आदि भावों को शब्‍दों की आवश्‍यकता नहीं पड़ती ये पूरे विश्‍व में बिना संवाद के भी पहचाने जा सकते हैं । विश्‍वास करीये इस धरा पर हो रहे सारे कोलाहल हमारी भाव शून्‍यता को इंगित करते हैं और एक हम हैं जो उनकी पूर्ती शब्‍दों से करने का प्रयास कर रहे हैं । कभी नेता की तरह भाषण पढकर तो कभी कुछ रटे रटाये जुमले दोहराकर ,लेकिन इस पूरी मूषक परिक्रमा को विफल होना पड़ता है । क्यों? क्‍योंकि हमने लिखे शब्‍दो को तो पढा लेकिन छिपे भावों को नहीं ढूढा । परिणाम संवाद विफल ।
क्रमशः

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27 DEC 2017 AT 0:05

रात की सरगोशी में सरफ़रोशी कर बैठी है..
देखो वो कुछ यूँ दिल में आग जला बैठी है!!

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