वन्दन करो उन वीरों का मतवाले दीवाने,देश के रखवाले सरफरोश जांबाजों का,उनके जज्बातों का,निज स्वार्थ से ऊपर उठ जो देश की गरिमा के पोषक बने,एक माँ का दूध पिए और करोड़ो मांँ के सपूत बने,उनके चरणों के धूल से भूभाग वो धन्य हुआ,जहाँ-जहाँ वो पग धरे वो धूल तिलक अनुकूल बना ।
वन्दन करो उन सरफरोश भारत माँ के प्रहरी,शूरवीरों के अटल इरादों का, डिगा नहीं सकी जिनको गर्मी, सर्दी या हो बर्फीली तूफान कभी,डटे रहते जो, सीमा पर हर बाधाओं को हैरान किए ।
कैसे न ये शीश झुके, जिनके साहस के दम पर हम सब निर्भीक जिएंँ,हम रंगों से लाल हुए वो लहू से बेहाल हुए,हम जश्न में मशगूल रहे वो बारूदो में जीवन ढूँढ़ रहे,हम अपने गम़ में गम़गीन हुए, वे देश हित में विलीन हुए,हम एक दिन तिरंगा फहराते,वे तिरंगे पर मर मिट जाते,उनके बलिदानों का मोल नहीं जो हम चुका सकें,बस श्रद्धा सुमन अर्पित कर,उनके सरफरोशी इरादों को नमन करें,एक दिन नहीं हर दिन हम उनके बलिदानों को स्मरण करें ।
-