QUOTES ON #समर्पण

#समर्पण quotes

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28 JUN 2020 AT 8:09

आर्यभट्ट के शून्य खोज का नतीजा भुगता हूँ मैं,
प्यार के हक में मुझको शून्य कह के छाँटा गया!

वात्स्यायन के काम, मेरे काम में हुआ भेदभाव,
उसके काम को कहा कला, पर मुझे डाँटा गया!

एक जायज शिकायत है मेरे और विंची के बीच,
मोनालिसा अमर, पर मेरी को कम आँका गया!

गैलीलियो और मैने तलाशा ग्रहों को आसमाँ में,
पर मेरे चाँद को दरकिनार कर मुझे हाँका गया!

दशरथ माँझी और मेरा जुनून था करीबन एकसा,
उसने बना दिया रास्ता मुझसे पहाड़ बाँटा न गया!

मुझ में और सुकरात में, बस फ़र्क इतना ही रहा,
पी गया वो जह्‌र पर मुझ से न विष फाँका गया!

सबने माना "राज" फक्कड़ और है कुछ बदजुबाँ _राज सोनी
पर खरा उतरा है जब भी परखा और जाँचा गया!

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19 APR 2020 AT 15:55

...इस तरह पुरुष ने
स्वयं को समझा एक पूर्ण वाक्य
और स्त्री उसमें पूर्ति हेतु रिक्त स्थान
जो समय-समय पर बदली जाती रही.

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22 SEP 2018 AT 18:20

प्रेम के मधुर गायन में हम
कोई स्वर सुरीला हो जाये .....

शेष अनुशीर्षक में ........



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17 JUL 2019 AT 10:07

प्यार के गर्भ में पलता समर्पण
जिससे जन्म होता है
विश्वास का और
बनते है रिश्ते
उम्र भर के
जो जुड़ते
है एक सच्ची
डोरी से और होता है
पूरा ये बागवान फिर होता है
मिलन दो आत्माओं का जिससे
खिलती हैं नयी कोपलें और बन जाता है पूरा संसार

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20 APR 2021 AT 19:27

"प्रेम".....

मिथ्यारहित "प्रेम" का अस्तित्व निर्भर है
और वर्तमान में सम्मिलित है.....,,

दो दैवीय आत्माओं का मिलन ,
अंतःकरण का निश्छल रिश्ता ,
पुष्प रूपी कोमल भावों का
प्रेमी के चरणों पर निश्वार्थ अर्पण ,
मन का साम्य दर्पण ,
अहम्, छल, कपट और ,
मिथ्या का तर्पण ,
हृदय का निरपेक्ष और अथाह समर्पण ,,,

"
"
इन सब के साथ अंत में
विरह की वेदना।।

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18 AUG 2022 AT 17:58

रंग में तेरे रंग के निश्छल प्रेम की डोर मजबूत़ हुईं राधे
जग़ में यूं विश्वास और समर्पण की प्रीत मशहूऱ हुईं राधे........



जय श्री राधे कृष्णा ❣️🌹💖🌹
आप सभी को कृष्णजन्माष्टमी पर्व की बहुत-बहुत ढ़ेर सारी 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ 🤷🏽‍♀️ हार्दिक शुभकामनाएं 🏵️❣️🏵️❣️🏵️🌹🙏🌹🏵️❣️🏵️❣️🏵️
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🏵️🏵️🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏🏵️🏵️

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3 MAY 2021 AT 22:31

प्रेम करने और प्रेम देने दोनो में अंतर है।
प्रेम करने में पाने का भाव होता है और प्रेम देने में समर्पण का भाव। प्रेम करना आसान है पर प्रेम देने के लिए अपने अस्तित्व को सर्वस्व में विलीन करना होता है।

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14 FEB 2023 AT 9:21

" प्रेम "
( रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ! )

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28 AUG 2021 AT 2:46

सजल नयन में स्वप्न समेटे
अधर मुखर स्मित चंदन सी
आन खड़ी वो मेरे सम्मुख
क्या मन मेरा अर्पण है ?

छवि प्रीत की प्रीति समाये
मेरे मन - मंदिर में धाये
कभी बाह्य और कभी तो भीतर
सहसा चित्र उसी का छाये
क्या मन मेरा दर्पण है ?

सात सुरों सी सजी हुई है
नियति मेरी बनी हुई है
रूप सौम्य और वाणी शीतल
पावन छाया सी खड़ी हुई है

स्पर्श रूह को करे तरंगित
छाप हृदय पे करके अंकित
दुःख - सागर से पार कराये
जीवन - साक्षात्कार कराये
क्या जीवन समर्पण है ?

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30 MAR 2022 AT 7:52

प्रेम के पवित्रता की और क्या मिसाल दे भला
नदी-समंदर संगम यू ही नही पूजे जाते...

(अनुशीर्षक)— % &

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