समय कब बीत गया पता ही नहीं चला,
कल कुछ और अगले कल कुछ और हो गया,
गुज़रे दिन अतीत तो आने वाले भविष्य बन गया,
कुछ यादों की गठरी ले चला,
कुछ रिश्तों की डोर ले चला,
कुछ अपने पराए होते गए,
कुछ पराए अपने होते गए,
समय कब बीत गया पता ही नहीं चला,
कुछ सपने दिखा कर चला,
कुछ सपने तोड़ कर चला,
कभी तो बंदिशें बना डाली,
कभी तो उड़ाने ही भर डालीं,
कभी हार कर जीत गए,
कभी जीत कर हार गए,
समय कब बीत गया पता ही नहीं चला।।।
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