सनम का हमें अब सहारा नहीं है
सनम बिन होता गुज़ारा नहीं है
समझते हमें तो नहीं छोड़ जाते
सनम सा हमें कोई प्यारा नहीं है
भले वो हमें ही नकारा समझ लें
पर इश्क़ हमारा नकारा नहीं है
तरस खा रहे थे सनम की वफ़ा पर
सनम भी हमारा बिचारा नहीं है
जहां के सभी गम कबूल हम कर लें
हंसी पर मगर हक हमारा नहीं है
बताते हैं इक राज की बात सबको
यहां कोई भी इश्क़ का मारा नहीं है
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