✍️"कटु वचन ठीक नहीं है!"
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स्वर "कर्कश" है तुम्हरे सखा फिर क्यों चिंघाड़ लगावत हो?
जानत हो नहीं गीत कोई फिर क्यों फोकट चिल्लावत हो?
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स्वर जो मिला तुम्हें जबरन बाबू उसे भी नहीं सजावत हो!
बोल रहे दिलकश ही नहीं तुम, फिर से दुख पहुँचावत हो!
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बिन जाने तुम सच को सखा, बस फोकट हमें सुनावत हो।
कितने बार कहे हम तुमसे पर तुम खुद की खूब चलावत हो।
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जरा सुधरो कभी सुनो सखा, अब अंजाम न दो बगावत को।
मानो बात कभी मिलो हमसे अब ध्यान दो साज सजावट को।
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