चापलूसी तो मूर्खों की खुराक होती है
आलोचना ही सही,मगर सच्ची करना
झूठे प्रशंसे की टॉनिक....
अक्सर तबियत बिगाड़ देती है!!-
जो कहते हैं की किसी के छोड़ जाने से कोई नही मरता
तो में उनसे कहना चाहती हूं कि
मर जाना ही सिर्फ जान निकल जाना ही नहीं होता
एहसास का खत्म हो जाना,मुस्कुराहते भुल जाना,
ज़िन्दगी बेरंग सा लगना,हसने से डर लगना,
तन्हाईयो का मुक्कदर बन जाना,
क्या ये सब मरने के बराबर नही है??
जान निकाल जाए तो दर्द से जान छूटता है
मगर जीते जी मरना बहुत तकलीफ देता है
😢😢
सांसे तो चलती है मगर जान बाकी रहती है
ज़िस्म भी होता है मगर ना ज़िन्दगी होती है और
ना जिंदा रहने की तम्मना😔
सिर्फ ज़िन्दगी गुजारी जाती है
ज़िन्दगी जी नही होती🤐
क्या ये वाली मौत जान निकल जाने वाली मौत से
ज्यादा तकलीफ वाली नही नही होती??
क्या इस तरह जिय जाने को मौत नही कहा जा सकता??-
यू ही एक छोटी सी बात पे।
ताल्लुक पुराने बिगड़ गये।।
मुद्दा ये था कि सही "क्या" है?
और वो सही "कौन"पर उलझ गये...
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ऐसा नही है कि मैं तेरा झूठ नही जानती,
पर तुझ पर विश्वास इतना गहरा हैं,
की तेरे हर झूठ को हूँ,मैं सच मानती।।
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छोटी सी उम्र में,बस एक बात समझ आई है,
कितना भी पढ़ लो,
असली शिक्षा तो,अनुभव ने ही सिखाई है।।
Aastha Shukla91🖋️-
सच बोलना भी अब गुनाह सा लगता है
ना बोलो सच तो हम अच्छे बन जाते है
और जो बोल दिया हमने सच तो बुरे हो जाते है
जिंदगी की उलझनों में यूं उलझ जाते हैं
रिश्तों तो बनाए रखने में ना जाने हम
कितने ही झूठ बोल जाते है...।
गलत कहते हैं लोग कि कभी हम झूठ नहीं बोलते
फिर क्यों खुद को बचाने एक और झूठ बोल जाते.
हा! बोलो झूठ कोई बुराई नहीं है पर हर बार झूठ
बोल कर अच्छे बन जाओ ये भी तो सही नहीं है।।
झूठ बोल कर हम कुछ देर तो महान बन जाते हैं
कुछ क्षण बाद ही खुदकी नज़रों में गिर जाते हैं।
ये एहसास भी ना जाने कितनो को होता होगा
जो अपनी गलतियों पर पछता जाते हैं..
भूल अपनी सही कर सबक दे जाते हैं
हां वे ही अच्छे इंसान कहलाते हैं....।।-
किसी का Message ना आना
भी एक Message है !😊
कि अब उन्हें हमारी जरूरत नही !!
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" कड़वी हकीकत "
अगर आप दूसरों की,
मां, बहन , बेटी की इज्जत करोगे.
तबही आपकी और हमारी मां, बहन , बेटी सुरक्षित रहेंगी.
खुद से शुरुआत करो,
तबही बदलाब मुमकिन है.
बरना आज आप किसी को माल कहेंगे,
कल आपकी बहन - बेटी को कोई और.
अल्लाह आपको हिदायद दे,
अमीन सुम्मा अमीन.-
और गर रख दो मंदिर में तो भगवान बन जाता है,
फिर वही हमारी आस्था का केन्द् बन जाता है।।-
जहा सच्ची चाहत होंगी वहा सक होगा,,,,
क्योंकि कलयुग है साहब, सतयुग नहीं,,,,
जो हर इंसान हमेशा सच्च ही बोले,,,,-