तू जल जाएगा कुछ पल में,
कुछ पल का प्रतिशोध होगा,
तू मिट जाएगा मिट्टी में,
बस कुछ अपनो को बोध होगा।
पलभर की ये बात होगी,
फिर बस ये ढोंग होगा,
फूलों से जड़ित होगी तस्वीर तेरी,
तब ना कोई तेरा दोस्त होगा।
हर अवशेष जब राख़ होगी
ना समेटने वाला कोई होगा,
एकत्व ही ये जीवन है,
तब इस सच्चाई का शोध होगा।
M.J.
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