QUOTES ON #सकूँ

#सकूँ quotes

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न दौलत चाहिए न शोरहत चाहिए
जिंदगी जीने के लिए बस सकूँ चाहिए।

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1 AUG 2022 AT 8:19

जिंदगी में अक्सर वो मुकाम आता है
जब कुछ अधूरा सा रह जाता है
किसी से कुछ कहना
किसी से कुछ सुनना रह जाता है
किसी को ढूंढती है आँखें
किसी से मिलने को तरस जाता है
ढूंढते हैं जिस सकूँ को
ना जाने कब वो करीब से गुजर जाता है

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16 JAN 2019 AT 13:31

सकूँ मिल जाए तो खबर हमे भी देना,

बहुत कुछ गिरवीं रख दिया है मैंने तलाश में इसकी।

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22 DEC 2019 AT 20:08

Mere har ek dard ka ilaaz tuhe.
Mere chehere pe jo muskaan chhupa hai woh raaz tuhe.

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31 JAN 2020 AT 15:38

सजरी सवेर नालों वध तेरा नूर ए,
मेरे प्यार वाली बहां विच सज्जी तेरी रूह ए।।

चढ़दी सवेर विच सजदा करा मैं अपने माही दा,
माहिया तेरी बहां विच आके मैनु मिलदा सकूँ ए।।

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6 MAR 2020 AT 18:12


धोखेबाजों के इस महफिल👿 में,
जिंदगी की शमा जल♨️ गई आधी ।
सुकून🤗 की तलाश में दर्द इतने मिले की,
अब तो दिल♥️ दर्दो 😥का होगा आदी ।।

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1 NOV 2020 AT 15:31

आना कुछ करीब ऐसे
अॉखो में छुपे खॉब
पढ सकूँ,

पलके ना झुकाना
निगाहो की गहराई
नाप सकूँ,

खुशी से तेरा
दामन भर सकूँ,

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24 AUG 2020 AT 11:39

एक सुकून की "तलब" है हमें

और तुम कहते हो इश्क करलें......??

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9 MAY 2019 AT 20:09

सपने संजोये थे मैंने
तुम और मै रहेगें सकूँ से यहीं
मौन में भी वार्तालाप खूब होगा
बिन कहें समझेंगे एक दूजे को हम
झूठ फरेब छलकपट नहीं होगा
आवारा झोंके से अलगाव नहीं होगा
कोई दूसरा हमारे बीच कभी नहीं होगा
सपने, सपने होते है सच कब होते है??
उजड़ गया वो आशियाना जो कभी बसा
ही नहीं

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3 AUG 2018 AT 11:58

खुश्बू जैसे तुम मिले अनजाने में,रिस्तों में मशगूल थी सबकी जिंदगी महकाने में।
वैसे दर्द में भी रिश्ते निभाने लगे, पर जिंदगी में सैलाब आ गया रिश्तों को निभा ले जाने में।
रिश्ते वही अच्छे हैं जो निभ गये,वक्त वही अच्छे थे जो साथ बीत गए।
अबाद कर देते हैं रिश्ते पल में बन जाने से, मुझे तो सालो लग गये रिश्तों को बताने और समझाने में।
अब भी विश्वास है रिश्तों को निभा ले जाने में।
जैसे लहरों में नाव को किनारे लगाने में खुशियाँ मिल जाती है माझी को,
वैसे ही खुशियाँ मिल जाती है डुबते रिश्तों को बचाने में।
रिश्ते न जाने कब से कैद थे विराने में, न जाने कैसे रिश्ते बनाते ही चराग जल उठे तुफानों में।
जो खुद बुझ सी गई थी, वो रिश्तों में ज्योत क्या जलाती?
पर आस बाकी है माँ के दरबार में सब अच्छा ही होता है।
लेखक नहीं, न ही कोई कवियत्री, पर लेखनी चल जाती है मन के कोने में बसे हर रिश्तों के नाम।
कभी दर्द तो कभी सकूं दे जाते हैं कभी अपने तो कभी पराये, कभी जानकर कभी अनजाने में।
रजनी अजित सिंह 3.8.18

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