छवि बना लो
जिंदगी थोड़ी सी ही है इसे कहीं, भीड़ में ना गंवा दो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
कहाँ चलना है, कहाँ रुकना है, सब तुम पर निर्भर है |
मंज़िल उन्ही की है, जो निरंतर अपने कर्म पर अचल है |
जो रास्ते तुम्हे लक्ष्य से विचलित करे, उन्हें दूर हटा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
अपनी ही गलतियों से, जाने कितने बार भटके हो |
इसलिए ही तुम आज भी, वही पे अटके हो |
फिर से उसी तकलीफ से, आज खुद को बचा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
क्या रखा है, दो पलों के इन, बहकावों में पड़कर |
सब कुछ मिलेगा, एक दिन, एक सहीं समय पर |
है रास्ता अगर साफ तो, अपनी मंज़िल पा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
छत पर पहुँचना है तो पहले,एक कदम सीढ़ी पे रख लो |
पड़ जाए ना कदम कमज़ोर, थोड़ा सा ध्यान रख लो |
छोटे- छोटे इन कदमों को, अब मंज़िल तक पहुँचा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
ना हिलो कभी निर्णय से, ऐसा एक फैसला हो |
चल सको मार्ग में अकेले, ऐसा तुम्हारा हौसला हो |
कोई भटका ना सके, मंज़िल से ऐसा मार्ग बना लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |
Pritam Singh Yadav
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