QUOTES ON #सकारात्मकता

#सकारात्मकता quotes

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11 JAN 2021 AT 8:11

छवि बना लो

जिंदगी थोड़ी सी ही है इसे कहीं, भीड़ में ना गंवा दो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

कहाँ चलना है, कहाँ रुकना है, सब तुम पर निर्भर है |
मंज़िल उन्ही की है, जो निरंतर अपने कर्म पर अचल है |
जो रास्ते तुम्हे लक्ष्य से विचलित करे, उन्हें दूर हटा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

अपनी ही गलतियों से, जाने कितने बार भटके हो |
इसलिए ही तुम आज भी, वही पे अटके हो |
फिर से उसी तकलीफ से, आज खुद को बचा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

क्या रखा है, दो पलों के इन, बहकावों में पड़कर |
सब कुछ मिलेगा, एक दिन, एक सहीं समय पर |
है रास्ता अगर साफ तो, अपनी मंज़िल पा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

छत पर पहुँचना है तो पहले,एक कदम सीढ़ी पे रख लो |
पड़ जाए ना कदम कमज़ोर, थोड़ा सा ध्यान रख लो |
छोटे- छोटे इन कदमों को, अब मंज़िल तक पहुँचा लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

ना हिलो कभी निर्णय से, ऐसा एक फैसला हो |
चल सको मार्ग में अकेले, ऐसा तुम्हारा हौसला हो |
कोई भटका ना सके, मंज़िल से ऐसा मार्ग बना लो |
जिन्दगी अपने निर्णय से जियो, ऐसी एक छवि बना लो |

Pritam Singh Yadav




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11 JUL 2020 AT 20:51

जिंदगी के फलसफे,
कुछ यूँ मंजूर हो गए।
हम छोटी-छोटी बातों में
खुश होते रहे,
और इसी तरह गम
हमसे दूर होते गए।

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9 JUN 2021 AT 23:00

इंसान अपने विचारों से निर्मित प्राणी है,
वो जैसा सोचता है, वैसा बन जाता है।

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4 JUN 2020 AT 12:27

आते हैं कभी-कभी नकारात्मकता के भाव भी पर....
मेरी लक्ष्य की चाह उसे डांटकर भगा देती है
और जब भी दिखती है सकारात्मकता की किरण
उसे बड़े प्यार से बुला लेती है।

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26 MAY 2020 AT 21:38

सहनशीलता कि मिठास है,
समर्पण कि खुशबू हैं, धर्म का स्वाद हैं।

आंसुओ कि चाशनी में
घुल गया मेरा अहंकार है, पिघल गयी मेरी नकारात्मकता हैं, मिल गया मेरा दुर्भाव हैं।

आंसुओ कि चाशनी में,
घुल गयी मेरी विरसता हैं,मिल गयी मुझे,
सकारात्मकता कि मिठास हैं।

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5 FEB 2021 AT 0:59

सूरजमुखी

(Peruse the caption.. ✍️

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28 JUN 2019 AT 20:50

जो कहा 'राख़'... नष्ट कर नश्वर सी कृति कर गया,
चिता कर गया, लाश कर गया, और मर गया!
जो कहा 'भस्म'... तो पवित्र सी अनुभूति कर गया,
अमर कर गया, अज़र कर गया, माथे पर ठहर गया!

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6 JUN 2020 AT 23:00

यहां कोई किसीका नही, फिर भी सभी साथ है।

याद बस इतना रखना मंजिल सबकी अपनी है,
सफर में मीले मुसाफिर बनकर यहां हर इंसान हैं।

कर्म का ही मूल्यांकन होना है,
अच्छा या बुरा सोंच समझकर करना हैं।

पैसो के एकाउंट को तो आपने भर रखा है,
अब मानवता तथा सकारात्मकता को
बढ़ाने की बारी हैं।
क्या आपकि तैयारी हैं?

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25 AUG 2020 AT 16:05

1 .हमेशा सकारात्मकता सोच रखना
2.अपने काम से काम रखना
3.व्यवहार में मानवता का परिचय देना

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16 OCT 2019 AT 17:45

प्रेम में प्रेम को प्रभावित करने के लिए,
हम कब प्रभावशाली बन जाते हैं......

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