माँ तेरा कर्ज़ कभी उतार नहीं सकता मैं,
ये जीवन छोटा पड़ जाए अगर गिनने बैठूं उपकार तेरे।
तेरे से ही शुरू और तेरे पर ही खत्म आनुवंशिक-गुण विचार मेरे।
अपने सारे गमों को भुलाकर,तुम लड़ती हो हर परेशानी से,
तुमसे बढ़कर मुझे कोई प्यार नहीं जिंदगानी से।
तेरे बिना खुद नज़र अपनी उतार नहीं सकता मै,
माँ तेरा कर्ज़ कभी उतार नहीं सकता मैं,
माँ तेरा कर्ज़ कभी उतार नहीं सकता मैं।
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