मां... ने कहा था,
एक संदूक होता है, हर लड़की के अंदर
मुझे कभी मिला ही नहीं था,
पर
अब सहसा, कुछ महसूस हुआ,
दिल के कोने में कुछ...
आखिर ढूंढ़ निकाला संदूक को,
और
काफ़ी साल तक जमा पड़े
मेरे कुछ किस्से,
मेरे कुछ साल, कुछ बहेतरिन लम्हे
और मेरी थोड़ी अनछुई जिंदगी भी,
बड़ी मुश्किल से
संदूक में रख दिए....
दिल
के एक अंदर के कोने में...
कभी नहीं खुलेगा पिटारा
मेरी यादों का संदूक..
मेरे साथ साथ रहेगा, और शायद
मेरे मर ने तलक....
आखिर आज संदूक ढूंढ़ ही लिया मैंने,
संदूक होता है, या फिर उसे कभी ना कभी
ढूंढ़ना ही पड़ता है
तुम ठीक ही कहती हो
मां,
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