QUOTES ON #शख़्सियत

#शख़्सियत quotes

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14 MAY 2020 AT 21:53

हवा में जब घुला ज़हर यहां मुझे महक याद आई
तुम छोड़ गए ऐसे तब तुम्हारी एहमियत याद आई

फ़ासलों ने बताया मुझे तुम कितने करीब रहे मेरे
तुम्हारी ग़ज़लें पढ़कर तुम्हारी आदमियत याद आई

सुकून और आज़ादी पाने को छोड़ा था गांव मैंने
चकाचौंध में उलझकर तुम्हारी शहरियत याद आई

तन्हाइयों ने डेरा डाला पूछने वाला नहीं कोई मुझे
गुज़रे थे तुम इस दौर से तुम्हारी ख़ैरियत याद आई

बारहां मिले मुझे भटकाने वाले नशेमन ज़माने में
तहज़ीब से छूट कर ही तुम्हारी तरबियत याद आई

ढोंग छोड़ो जो कहना है खुल कर कहो न मेरे यारों
बातों में छली गई तो तुम्हारी मासूमियत याद आई

बिछड़ कर जाने वाले हमदम तुम्हारी गुनहगार हूँ मैं
हो कर लापता खुदसे तुम्हारी शख्सियत याद आई

साथ छोड़ गए हैं सब मुझे अपना कहने वाले मेरे
यूँही नहीं 'जोयस्ती' को तुम्हारी एहमियत याद आई

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27 DEC 2020 AT 23:48

तुम्हारा नाम ..
बहुत अजीब है
ये ज़रा भी मेल नहीं खाता
तुम्हारी शख़्सियत से
तुम्हारा नाम ..
बहुत वाचाल .. बेहद शोखियाँ लिए
उन्मुक्त और हलचल से भरा है
और तुम ..
कोई उदास .. ख़ामोश सी तस्वीर जैसी
..
ज़िन्दगी
नाम से नहीं चलती
ना ही ज़िन्दगी का
कोई वास्ता होता है नाम से
और फिर नाम में क्या रखा है
याद किये जाने के लिए
ज़िन्दगी जीने के तरीक़े ही काफ़ी होते है
बाक़ी नाम से तो एक ढूंढों हज़ार मिलेंगे

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15 JUN 2018 AT 11:58

तेरी शख़्सियत से मुतास्सिर था, तेरी रूह से वाक़िफ़,
आज हुस्न तेरा देखा तो खुद अपनी अना भूल गया ...

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22 OCT 2020 AT 1:10

गुम रहे अब तक यूं ही कहीं
पहचान न सके स्वयं को कभी
है आरजू अब खुद से मिलने की
ता-उम्र खुद से ही अनजान रहे
मगर सुना तो बहुत है लोगों से
बहुत दिलचस्प शख़्सियत है मेरी

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6 MAR 2019 AT 21:55

आप मुझ में अपना आप छोड़ गयीं
जिस्म पर रूह के छाप छोड़ गयीं
लिख दूँ एक ग़ज़ल आप पर भी अब
शख़्सियत की अपनी नाप छोड़ गयीं

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30 MAR 2021 AT 19:30

किताबों को
इतना सस्ता तो
होना ही चाहिए
कि इसे हर वर्ग
हर .. आर्थिक वर्ग
या कि .. कमसकम
निम्न आर्थिक वर्ग का पाठक
भी सुगमता से पढ़ सके
वहीं
किताब की शख़्सियत को
बहुत बहुत बहुत
महंगा होना चाहिये
लेकिन
लेखक को नहीं

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2 JUL 2020 AT 19:09

ठहरता नहीं वजूद हैसियत का
महत्व तो होता है शख़्सियत का
सच मानो तो जिंदगी है एक कहानी
हर इंसान इक किरदार है कहानी का
जिसे निभाने के लिए करता है सामना
न जाने कितने ही इम्तिहानों का

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7 APR 2020 AT 19:10

गलत जगह सही हूँ तो मैं लोंगो को दिखाई नही देता,
मैं अपनी अच्छी बुरी शख़्सियत की सफाई नही देता।

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19 NOV 2021 AT 8:09

कितने खाली कोने रह गए
ख़्वाब कुछ संजोने रह गए

रिश्तों की चाहत, ज़द कोई
पत्थर से क्यों ढ़ोने रह गए

मन तो साफ़ है तेरा मुंसिफ़
दाग़ ये किसके धोने रह गए

जबीं चूमी, गले लगाया पर
होकर उसके, होने रह गए

'बवाल' हुआ मैं, मेरे करके
ओ मेरे ही ग़म रोने रह गए

भरा है मन, फ़िर भी देखो!
कितने खाली कोने रह गए

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23 JUN 2020 AT 6:28

दिल का बुरा नहीं हूँ मैं,
मेरी ये शख़्सियत मेरे लफ़्ज़ों की मेहेरबानी है...

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