✨परदेशी - मेरा चहेता मित्र (R.I.P.)✨
अब किसी रचना की उनको मुझसे पेशकश थी।
वह भी तब, जब दिल में तनिक कशमकश थी।✨
यूँ तो अक्सर शायरियांँ पढ़कर ही मन बहलाया करता था।
न मिलने पर कोई अच्छी, खुद लिखकर सजाया करता था।✨
पर उस दिन अचानक ही! मेरे लिखने की तनिक भी इच्छा नहीं हुई।
उस परदेशी ने कुछ न सुना, शायद बखान-ए-दर्द, दिल को नहीं छुई!✨
शायद वह, मेरी कुछ रचनाओं के कायल हो गये थे।
थके हारे तो हम थे पर लगा कि वो घायल हो गए थे।✨
मरी हालत में भी हमें कुछ लिखना पड़ा और तत्काल उन्हें भेजा।
अफसोस! उनकी हालत वहाँ कैसी थी कि कब काल "उन्हें भेजा!"।✨😔
दुखड़ा सुनकर सदमे में आँसू बहुत दिनों तक गिरते रहे।
रो रो कर भी हम थके नहीं, कुछ यादें इर्दगिर्द फिरते रहे।✨
किसी के पास होकर, दूर अचानक चले जाने का गम भुलाता नहीं है।
पता जो है कि इंसान जब ऊपर जाता है तो वापस फिर आता नहीं है।✨
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